बीजेपी नेता और पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली का 66 साल की उम्र में निधन

बीजेपी नेता और पूर्व वित्तमंत्री रहे अरुण जेटली का 66 साल की उम्र में निधन हो गया है। इससे पहले शुक्रवार को उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। भाजपा उपाध्यक्ष उमा भारती एम्स में उनसे मिलने पहुंची। जेटली 9 अगस्त को एम्स में चेकअप कराने पहुंचे थे, जिसके बाद उन्हें भर्ती कर लिया गया।

Asianet News Hindi | Published : Aug 24, 2019 6:19 AM IST / Updated: Aug 24 2019, 12:43 PM IST

नई दिल्ली. बीजेपी नेता और पूर्व वित्तमंत्री रहे अरुण जेटली का 66 साल की उम्र में निधन हो गया है। इससे पहले शुक्रवार को उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। भाजपा उपाध्यक्ष उमा भारती एम्स में उनसे मिलने पहुंची। जेटली 9 अगस्त को एम्स में चेकअप कराने पहुंचे थे, जिसके बाद उन्हें भर्ती कर लिया गया। उन्हें कमजोरी और घबराहट की शिकायत के बाद भर्ती करवाया गया था। हालांकि, एम्स ने 10 अगस्त के बाद उनकी तबीयत से संबंधित कोई भी बुलेटिन जारी नहीं किया। 

 

 

 इससे पहले सोमवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, उप्र की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, भाजपा सांसद मेनका गांधी उनसे मिलने पहुंची थीं। जेटली का सॉफ्ट टिश्यू कैंसर का इलाज चल रहा था। वे इस बीमारी के इलाज के लिए 13 जनवरी को न्यूयॉर्क चले गए थे और फरवरी में वापस लौटे थे। इसी के चलते पिछली सरकार में उन्होंने अंतरिम बजट भी पेश नहीं किया था।

जेटली ने मंत्री बनने से इनकार कर दिया था
 मोदी सरकार-2 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मंत्री पद लेने से इनकार कर दिया था। मई 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद  जेटली को वित्त और रक्षा मंत्रालय का प्रभार दिया गया था। वे 2014 में छह महीने रक्षा मंत्री रहे। बाद में मनोहर पर्रिकर रक्षा मंत्री बनाए गए थे। उनके गोवा का मुख्यमंत्री बनने के बाद जेटली को 2017 में छह महीने के लिए दोबारा रक्षा मंत्री बने थे। बाद में उनकी जगह निर्मला सीतारमण को दी गई थी।

क्या है सॉफ्टटिश्यू सरकोमा?
सरकोमा कैंसर का ही एक प्रकार है, जो कि हडि्डयों या मांसपेशियों जैसे टिश्यू में शुरू होता है। सॉफ्ट टिश्यू सरकोमा के 50 से ज्यादा प्रकार होते हैं। आमतौर पर यह बाजुओं या पैरों में शुरू होता है। कुछ खास रसायनों के संपर्क में आने, रेडिएशन थैरेपी करवाने या कुछ आनुवंशिक रोग होने की वजह से इसका जोखिम बढ़ जाता है।

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