देश में वैक्सीन को लेकर संदेह 10% तक कम हुआ, लेकिन अभी भी 62% लोग टीका लगवाने को लेकर झिझक रहे

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जनवरी 2021 को भारत में दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन कार्यक्रम की शुरुआत की है। पहले चरण में हेल्थ वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन दी जा रही है। भारत में ऑक्सफोर्ड की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत सरकार ने पहले चरण में 3 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा है। अभी तक 3 लाख लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 19, 2021 7:36 AM IST / Updated: Jan 19 2021, 01:07 PM IST

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जनवरी 2021 को भारत में दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन कार्यक्रम की शुरुआत की है। पहले चरण में हेल्थ वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन दी जा रही है। भारत में ऑक्सफोर्ड की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत सरकार ने पहले चरण में 3 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा है। अभी तक 3 लाख लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। 

वहीं, अक्टूबर 2020 से LocalCircles ने कोरोना वैक्सीन को लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएं ली हैं। ताकि यह पता चल सके कि कितने लोग अभी वैक्सीन लेने में संदेह कर रहे हैं। अक्टूबर में हुए सर्वे में 61% लोगों ने वैक्सीन लेने में झिझक दिखाई थी। वहीं, नवंबर में यह घटकर 59% रह गई थी। वहीं, जनवरी में दो वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल मिलने के बाद जनवरी के पहले हफ्ते में वैक्सीन को लेकर लोगों का संदेह 69%  तक बढ़ गया। 

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वहीं, वैक्सीनेशन शुरू होने के कुछ दिनों बाद  LocalCircles ने एक और सर्वे किया। इस सर्वे में देश के 230 जिलों से 17 हजार लोगों ने हिस्सा लिया। यह सर्वे इसलिए किया गया ताकि यह पता लग सके कि कितने लोग वैक्सीन को लेकर अब सहज हैं। 

अभी भी 62% लोग वैक्सीन लेने से झिझक रहे
लोगों से पूछा गया कि भारत के अधिकांश जिलों में वैक्सीन उपलब्ध है। ऐसे में क्या वे वैक्सीन लेंगे। इस पर 32% लोगों ने कहा कि वे वैक्सीन लेने के लिए तैयार हैं। वहीं, 6% लोगों ने कहा कि प्राइवेट अस्पताल में वैक्सीन उपलब्ध होने पर वे लगवा लेंगे। वहीं, 22% लोगों ने कहा कि वे तीन महीने के इंतजार के बाद वैक्सीन पर फैसला करेंगे। जबकि 14% लोगों ने कहा कि वे वैक्सीन पर 3-6 महीने के बाद फैसला करेंगे। वहीं, 14% ने कहा कि वैक्सीन 6-12 महीने बाद फैसला करेंगे। जबकि 3% लोगों ने कहा कि वे 2022 में वैक्सीन पर फैसला करेंगे। सर्वे के मुताबिक, करीब 62% लोग वैक्सीन पर झिझक दिखा रहे हैं। 

साइड इफेक्ट पर अनिश्चितता झिझक की प्रमुख वजह
पहले सवाल के जवाब के बाद जब लोगों से दूसरा सवाल पूछा गया कि वे वैक्सीन लेने से क्यों झिझक रहे हैं। 59% यानी 8782 लोगों ने कहा कि साइड इफेक्ट पर अनिश्चितता वैक्सीन को लेकर संदेह की मुख्य वजह थी। वहीं, 18% लोगों ने कहा कि उन्हें वैक्सीन के असर के बारे में जानकारी नहीं है। वहीं, 5% लोग ऐसे थे, जिन्होंने कहा कि कोरोना वायरस का टीका नए स्ट्रेन से बचा सकता है। जबकि 11% लोगों ने कहा कि कोरोना खत्म हो गया है, तब वैक्सीन की क्या जरूरत है। 

5% नागरिक ऐसे भी थे जो मानते हैं कि वर्तमान वैक्सीन भविष्य के कोरोनावायरस दागों से बच सकते हैं, जबकि 11% नागरिकों का मानना ​​है कि COVID-19 वैक्सीन से दूर क्यों जा रहा है। उन हिचकिचाहट का 8% विस्तार नहीं कर सका कि वे क्यों झिझक रहे थे।

58%- साइड इफेक्ट पर अनिश्चितता
18% - असर के बारे में जानकारी नहीं
5%- वैक्सीन नए स्ट्रेन से बचा सकती है
11%- कोरोना खत्म हो रहा है, वैक्सीन की क्या जरूरत है
8%- कुछ कह नहीं सकते

कैसे हुआ सर्वे?
सर्वे में देश के 230 जिलों के 17000 लोगों ने हिस्सा लिया। इनमें 67% पुरुष और 33% महिलाएं थीं। 51% लोग टियर 1, 32% टियर 2, जबकि 17% टियर 3 और ग्रामीण क्षेत्र के लोग थे। सर्वे LocalCircles के प्लेटफॉर्म पर किया गया। इसमें LocalCircles पर रजिस्टर्ड लोगों ने हिस्सा लिया। 

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