कर्नाटक चुनाव 2023 Asianet News Digital Survey: वो प्रमुख मुद्दे जो तय करेंगे बसवराज फिर बनेंगे 'सरकार' या चलेगी बदलाव की बयार?

एशियानेट न्यूज नेटवर्क द्वारा कन्नड़ व अंग्रेजी के डिजिटल रीडर्स पर सर्वे किया गया जिसमें कर्नाटक चुनाव को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। सर्वे में लोगों ने यह स्पष्ट किया है कि वह कौन से मुद्दे हैं जिसकी कसौटी पर पार्टियों को कसेंगे।

Karnataka Assembly Election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई है। दरअसल, इस राज्य के रिजल्ट से देश के अन्य राज्यों के आगामी चुनावों की दिशा तय होगी। इसी साल मध्यप्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी चुनाव होने हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह कि अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी जीत की हैट्रिक के लिए मैदान में उतरने जा रही है। ऐसे में कर्नाटक चुनाव के परिणाम कई राजनीतिक पंडितों को भी चौंका सकते हैं। एशियानेट न्यूज नेटवर्क द्वारा कन्नड़ व अंग्रेजी के डिजिटल रीडर्स पर सर्वे किया गया, जिसमें कर्नाटक चुनाव को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। सर्वे में लोगों ने खुलकर मुद्दों पर बातचीत की है। राज्य में किन मुद्दों पर इस बार लोग करने जा रहे हैं आईए जानते हैं....

वह मुद्दे जो वोटर्स को अपना जनप्रतिनिधि चुनने में मदद करेंगे...

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आरक्षण: एशियानेट न्यूज डिजिटल सर्वेक्षण में 75 प्रतिशत कन्नड़ उत्तरदाता और 58 प्रतिशत अंग्रेजी उत्तरदाता इस बात से सहमत हैं कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भीतर एक नई लैटरल रिजर्वेशन सिस्टम से कर्नाटक में अधिक दलितों को मदद मिलेगी। केवल 21 प्रतिशत कन्नड़ वोटर्स जिन्होंने सर्वे में भाग लिया है ने और 22 प्रतिशत अंग्रेजी उत्तरदाताओं का मानना था कि नई आरक्षण प्रणाली दलितों की मदद नहीं करेगी।

62 प्रतिशत कन्नड़ भाषा के लोगों और 48 प्रतिशत अंग्रेजी के लोगों ने 4 प्रतिशत मुस्लिम कोटा को खत्म करने और उन्हें लिंगायतों और वोक्कालिगाओं को समान रूप से वितरित करने के कर्नाटक सरकार की हालिया आरक्षण नीति के साथ पक्ष लिया।

भ्रष्टाचार: भ्रष्टाचार एक ऐसा मुद्दा है जो देश के हर हिस्से में हर चुनाव में हावी रहता है। कर्नाटक का मतदाता भी इस मुद्दे से खुद को अलग नहीं किया है। छत्तीस प्रतिशत कन्नड़ भाषा के लोगों ने और 48 प्रतिशत अंग्रेजी उत्तरदाताओं का मानना ​​था कि राज्य में सरकार किसी भी रही हो, सभी सरकारें भ्रष्टाचार से निपटने में विफल रही। जबकि 19 प्रतिशत कन्नड़ उत्तरदाताओं ने माना कि बोम्मई सरकार सबसे अधिक भ्रष्ट थी। वहीं, पिछले येदियुरप्पा प्रशासन को 17 प्रतिशत लोगों ने सबसे अधिक भ्रष्ट माना तो एचडी कुमारस्वामी सरकार को 18 प्रतिशत ने अधिक भ्रष्ट पाया।

हालांकि, अंग्रेजी वेबसाइट की सर्वे में भाग लेने वालों ने सबसे कम भ्रष्ट येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली सरकार को कहा। 19 प्रतिशत अंग्रेजी उत्तरदाताओं ने कुमारस्वामी के तहत जेडी-एस सरकार को भ्रष्ट कहा तो येदियुरप्पा को 16 प्रतिशत ने और बोम्मई सरकार को 17 प्रतिशत ने अधिक भ्रष्ट करार दिया।

विकास: विधानसभा चुनाव में बीजेपी की नैया को डूबने से बचाने में विकास का मुद्दा एक बड़ा फैक्टर हो सकता है। एशियानेट न्यूज़ डिजिटल सर्वेक्षण के अनुसार, 66 प्रतिशत कन्नड़ उत्तरदाताओं और 57 प्रतिशत अंग्रेजी उत्तरदाताओं का मानना था कि राज्य में मौजूदा भाजपा सरकार में औद्योगिक विकास हुआ है। 14 प्रतिशत कन्नड़ उत्तरदाताओं और 25 प्रतिशत अंग्रेजी उत्तरदाताओं ने कहा कि बीजेपी के शासन में औद्योगिक विकास नहीं हुआ।

किसान: कन्नड़ भाषा के डिजिटल सर्वे में भाग लिए लोगों में 45 प्रतिशत का मानना है कि बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने किसान हितैषी फैसले लिए और काम किए। हालांकि, अंग्रेजी डिजिटल के सर्वे में भाग लेने वालों में 39 प्रतिशत ने माना कि बोम्मई सरकार ने किसान हितैषी काम किया।

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