सार
एशियानेट न्यूज नेटवर्क द्वारा कन्नड़ व अंग्रेजी के डिजिटल रीडर्स पर सर्वे किया गया जिसमें कर्नाटक चुनाव को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। सर्वे में लोगों ने यह स्पष्ट किया है कि पीएम मोदी बनाम राहुल गांधी में कौन भारी पड़ेगा?
Karnataka Assembly Election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई है। दरअसल, इस राज्य के रिजल्ट से देश के अन्य राज्यों के आगामी चुनावों की दिशा तय होगी। इसी साल मध्यप्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी चुनाव होने हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह कि अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी जीत की हैट्रिक के लिए मैदान में उतरने जा रही है। ऐसे में कर्नाटक चुनाव के परिणाम कई राजनीतिक पंडितों को भी चौंका सकते हैं। एशियानेट न्यूज नेटवर्क द्वारा कन्नड़ व अंग्रेजी के डिजिटल रीडर्स पर सर्वे किया गया, जिसमें कर्नाटक चुनाव को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए।
मोदी बनाम राहुल गांधी की अग्निपरीक्षा...
चुनावी राज्य कर्नाटक में इस बार स्थानीय चेहरों की बजाय राष्ट्रीय चेहरों की अग्निपरीक्षा है। इस चुनाव में पीएम मोदी का जादू चलेगा या राहुल गांधी को नई पहचान मिलेगी, यह यक्ष प्रश्न सबके जेहन में है जिसका जवाब शायद 13 मई को ही मिले। हालांकि, कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं ने इस चुनाव को राहुल बनाम मोदी बनाकर भले अपने नेता के पक्ष को मजबूत करने की कोशिश की हो लेकिन ताजा सर्वे बता रहे हैं कि जमीन पर धारणा की लड़ाई बहुत हद तक प्रधानमंत्री के पक्ष में झुकी हुई है।
वैसे कांग्रेस अब-अयोग्य सांसद राहुल गांधी द्वारा शुरू की गई भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से संभावित समर्थन पर भरोसा कर रही है। बीजेपी को अभी भी पीएम मोदी के जादू पर यकीन है। हालांकि, कन्नड़ (69 फीसदी) और अंग्रेजी (50 फीसदी) दोनों में एशियानेट न्यूज डिजिटल सर्वे के उत्तरदाताओं की भारी संख्या का मानना है कि राहुल गांधी कारक कांग्रेस पार्टी को आगामी चुनाव जीतने में मदद नहीं करेगा।
इसके बजाय, 58 प्रतिशत कन्नड़ उत्तरदाताओं और 48 प्रतिशत अंग्रेजी उत्तरदाताओं का मानना है कि नरेंद्र मोदी कारक भाजपा को आगामी चुनाव जीतने में मदद करेगा।
हाल ही में एक साक्षात्कार में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने रेखांकित किया कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्राओं का कर्नाटक के मतदाताओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि यह राज्य का चुनाव है, यह राष्ट्रीय चुनाव नहीं है। उन्होंने कहा कि लोग जिन मुख्य मुद्दों पर विचार करने जा रहे हैं, वे स्थानीय मुद्दे और भाजपा सरकार का कुशासन है। हालांकि, शुक्रवार शाम को जारी एशियानेट न्यूज डिजिटल सर्वेक्षण कर्नाटक में पार्टी के शीर्ष नेताओं के लिए एक तरह से आंखें खोलने वाला साबित होगा।
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