मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि परिसीमन को केवल जनसंख्या आधार न मानकर अन्य मानकों पर भी देखें तो कई समस्याओं का हल मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि परिसीमन को इस तरह से भी किया जा सकता है जिससे अवैध विदेशियों का पता लगाया जा सके साथ ही एनआरसी को लागू करने में आसानी हो सकती है।
गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सिर्फ जनसंख्या को परिसीमन का आधार नहीं मानने की सलाह दी है। राज्य के चार जिलों के साथ विलय कर बनाए गए नए जिलों की उपयोगिता के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इन नए जिलों के बनाए जाने के लाभ दूरगामी हैं। राज्य कैबिनेट ने चार जिलों के विलय की मंजूरी को प्रशासनिक आधार पर किया है। उन्होंने कहा कि परिसीमन इससे थोड़ा प्रभावित होगा लेकिन लोगों को इससे लाभ मिलेगा।
क्या कहा हिमंत बिस्वा सरमा ने?
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि किसी भी निर्वाचन क्षेत्र के परिसीमन का एकमात्र आधार जनसंख्या नहीं होनी चाहिए। अन्य भी मानदंडों को इसके लिए आधार बनाने की जरूरत है। संसद द्वारा परिसीमन के जो मानक तय किए गए हैं उसका पालन करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने जिलों को जनसंख्या नियंत्रण करने को कहा है लेकिन कुछ क्षेत्रों में इसका पालन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि संसद में इस पर बहस होनी चाहिए क्योंकि मौजूदा कानून कम आबादी वाले क्षेत्रों की तुलना में अधिक आबादी वाले क्षेत्र को प्राथमिकता देता है।
सही परिसीमन से हम अपनी सीमाओं को सुरक्षा दे सकते
दरअसल, असम में निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं का नए सिरे से परिसीमन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि परिसीमन को केवल जनसंख्या आधार न मानकर अन्य मानकों पर भी देखें तो कई समस्याओं का हल मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि परिसीमन को इस तरह से भी किया जा सकता है जिससे अवैध विदेशियों का पता लगाया जा सके साथ ही एनआरसी को लागू करने में आसानी हो सकती है। उन्होंने कहा कि परिसीमन हमारे समाज को बचाने में भी काफी सहयोग दे सकता है। इस बार का परिसीमन डेटा आधारित हो और हर मानकों पर खरा उतरता होग। इससे निष्पक्षता झलकेगी।
असम के चार जिलों का विलय कर दिया गया
असम में विलय योजना के अंतर्गत चार जिलों का चार अन्य जिलों में विलय कर दिया गया है। बिश्वनाथ जिले को सोनितपुर में विलय कर दिया गया है तो होजई को नागांव में विलय कर दिया गया। इसी तरह तमुलपुर जिले को बक्सा में विलय कर दिया गया है और बजाली जिले को बारपेटा जिले में विलय करने का निर्णय लिया गया है। दरअसल, राज्य सरकार ने चार जिलों के विलय का निर्णय चुनाव आयोग की शुरू हुई कार्रवाई को देखते हुए किया है। आयोग ने असम सरकार को कहा था कि वह 1 जनवरी 2023 से परिसीमन की कार्रवाई शुरू करेगी। इसलिए इसके बाद किसी भी जिले या प्रशासनिक इकाइयों में कोई बदलाव मान्य नहीं होगा।
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