प्रदर्शन रोकने के लिए असम सरकार का बड़ा कदम, असम की संस्कृति बचाने के लिए उपायों की घोषणा की

असम में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के बीच भाजपा नीत असम सरकार ने शनिवार को असमी भाषा और जमीन, मूल निवासियों के कल्याण और स्वायत्त आदिवासी परिषदों की रक्षा के लिए कई उपायों की घोषणा की।

Asianet News Hindi | Published : Dec 21, 2019 6:17 PM IST / Updated: Dec 21 2019, 11:51 PM IST

गुवाहाटी. असम में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के बीच भाजपा नीत असम सरकार ने शनिवार को असमी भाषा और जमीन, मूल निवासियों के कल्याण और स्वायत्त आदिवासी परिषदों की रक्षा के लिए कई उपायों की घोषणा की। वित्तमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य मंत्रिमंडल केंद्र से संविधान के अनुच्छेद-345 में संशोधन कर बंगाली बहुल बराक घाटी, दो पर्वतीय जिलों एवं बोडोलैंड क्षेत्रीय प्रशासनिक जिलों (बीटीएडी) को छोड़कर असमी भाषा को राज्य की भाषा घोषित करने का अनुरोध करेगी।

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की हुई बैठक में विधानसभा के अगले सत्र में एक कानून लाने का भी फैसला किया गया जिसके जरिये राज्य के सभी अंग्रेजी एवं अन्य माध्यमों के स्कूलों में असमी भाषा को पढ़ाना अनिवार्य किया जाएगा। सरमा ने कहा कि मूल निवासियों के जमीन पर अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए बाहरी लोगों को जमीन हस्तांतरित करने से रोकने के लिए विधानसभा में एक विधेयक लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि असम विरासत संरक्षण विधेयक भी लाया जाएगा जिसमें विरासत संपत्ति का अतिक्रमण, खरीदना और बेचना संज्ञेय अपराध होगा।

वित्तमंत्री से जब पूछा गया कि नए फैसलों की घोषणा ऐसे समय क्यों की गई जब राज्य में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं? इसपर सरमा ने कहा, ‘‘प्रदर्शन और विकास की गाड़ी साथ-साथ चलती है। हम 2021 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए तैयार हो रहे हैं। हमारे पास अपने वादों को पूरा करने के लिए केवल एक साल का समय है।’’ सरमा ने कहा कि मंत्रिमंडल ने सभी जनजातीय स्वायत्त परिषदों (मिसिंग, रभा, सोनोवाल कछारी, थेंगल कछारी, देओरी और तीवा) को संवैधानिक दर्जा देने का फैसला किया है ताकि उन्हें अधिकार और सहूलियत के साथ केंद्र और राज्य दोनों से धन मिल सके।

उन्होंने कहा कि कूच राजबंशी समुदाय के लिए नया स्वायत्त परिषद बनाने का फैसला किया गया है जो मूल गोआलपारा जिले में बीटीएडी और रभा होसांग इलाके से अलग बनेगा। सरमा के मुताबिक सरकार ने मोरन और मटक समुदाय के लिए भी दो नए स्वायत्त परिषद बनाने का फैसला किया है। वित्तमंत्री ने बताया कि मोरन, मट्टक, चुटिया और अहोम समुदाय के लिए बजट में घोषित 500 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज का चारों समुदायों में बराबर-बराबर विभाजन होगा। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही उचित धन के साथ ताई अहोम विकास परिषद, चुटिया विकास परिषद और कूच राजबंशी विकास परिषद का पुनर्गठन किया जाएगा।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)


 

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