गवाह हाशिम ने कहा था अयोध्या हिंदुओं के लिए उतनी ही पवित्र, जितना मक्का मुसलमानों के लिए: रामलला के वकील

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई चल रही है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच इस मामले में हफ्ते में पांच दिन सुनवाई कर रही है। मंगलवार को रामलला की ओर से पेश वकील सीएस वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें दीं।

Asianet News Hindi | Published : Aug 13, 2019 7:54 AM IST / Updated: Aug 13 2019, 02:18 PM IST

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई चल रही है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच इस मामले में हफ्ते में पांच दिन सुनवाई कर रही है। मंगलवार को रामलला की ओर से पेश वकील सीएस वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें दीं।

सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि 72 साल के मोहम्मद हाशिम ने गवाही में कहा था कि हिंदुओं के लिए अयोध्या उतना ही महत्व रखता है, जितना मुसलमानों के लिए मक्का पवित्र है। उन्होंने कहा कि 1949 में मूर्ति रखे जाने से पहले भी ये स्थान हिन्दुओं के लिये पूजनीय था। हिंदू दर्शन करने आते थे। किसी स्थान के पूजनीय होने के लिए सिर्फ मूर्ति की जरुरत नहीं है। इसी तरह से हम गंगा, गोवर्धन, पर्वत का उदाहरण भी ले सकते हैं।

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उन्होंने कहा कि 1949 से बाबरी मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ी जा रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी अपने फैसले में यही लिखा है। हाईकोर्ट के तीनों जजो ने ये बात मानी थी। हालांकि, जस्टिस एसयू खान ने अलग नजरिया रखा था, लेकिन उन्होंने उस जगह मंदिर के होने से इनकार नहीं किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- रामलला का जन्मस्थान कहां है?
बेंच ने पूछा कि रामलला का जन्मस्थान कहां है? इस पर वैद्यनाथन ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाबरी मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे वाले स्थान को भगवान राम का जन्मस्थान माना है। मुस्लिम पक्ष विवादित स्थल पर अपना मालिकाना हक साबित नहीं कर पाया। लेकिन हिंदू जब भी पूजा करने की खुली छूट मांगते हैं तो विवाद शुरू हो जाता है।

मध्यस्थता विफल होने के बाद रोजाना सुनवाई कर रहा है सुप्रीम कोर्ट
मध्यस्थता प्रयास विफल हो जाने के बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 सदस्यों की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को इस मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए मध्यस्थता समिति बनाई थी। इस समिति ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सील बंद लिफाफे में अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी।

मध्यस्थता समिति पूर्व जस्टिस एफएम कलिफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, सीनियर वकील श्रीराम पंचू शामिल थे। 18 जुलाई को मध्यस्थता पैनल ने स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी। उस वक्त चीफ जस्टिस ने समिति से जल्द ही अंतिम रिपोर्ट पेश करने को कहा था। बेंच ने कहा था कि मध्यस्थता से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला तो रोजाना सुनवाई पर विचार करेंगे। 

सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गईं
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट अयोध्या में 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन समान हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। पहला-सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा- निर्मोही अखाड़ा और तीसरा- रामलला। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गईं हैं। बेंच इन सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही है।

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