राम मंदिर का भूमि पूजन 5 अगस्त को होना है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारी 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस के बाद से शुरू हो गई थी। विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल ने मंदिर निर्माण के लिए मॉडल बनवाने और मूर्तियां बनाने का काम भी दे दिया था।
अयोध्या. राम मंदिर का भूमि पूजन 5 अगस्त को होना है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारी 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस के बाद से शुरू हो गई थी। विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल ने मंदिर निर्माण के लिए मॉडल बनवाने और मूर्तियां बनाने का काम भी दे दिया था। सिंघल ही रंजीत मंडल को 2001 में अयोध्या लाए थे, वे 2013 से राम कथा कुंज के लिए मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं। इस काम में उनका परिवार भी साथ दे रहा है।
रंजीत मंडल ने एशियानेट से की खास बातचीत।
एशियानेट न्यूज से खास बातचीत में रंजीत मंडल ने बताया कि वे असम में 5 साल की उम्र से मूर्तियां बना रहे हैं। विहीप नेता अशोक सिंघल उन्हें 1999 में गुवाहाटी से दिल्ली लेकर आए। यहां से वे 2001 में अयोध्या पहुंचे।
मंडल जन्म से राज्याभिषेक तक मूर्तियां बना रहे हैं
(दशरथ के हाथ में भगवान राम)
विश्व हिंदू परिषद के लिए बनाईं कई मूर्तियां
रंजीत मंडल बताते हैं कि वे 1999 से ही विश्व हिंदू परिषद के लिए मूर्तियां बना रहे हैं। उन्होंने कुंभ, चित्रकूट और गोंडा में भी विहीप के लिए कई मूर्तियां बनाईं। सिंघल ने 2006 में रंजीत मंडल को राम मंदिर में राम कथा कुंज के लिए मूर्तियां बनाने का काम दिया था। यह काम 2013 में शुरू हुआ।
रंजीत मंडल ने 2013 में मूर्तियां बनाने का काम शुरू किया था।
राज्याभिषेक तक बनाएंगे सभी मूर्तियां
मंडल पूरी राम कथा मूर्तियों में पूरी कथा को दर्शा रहे हैं। अभी तक उन्होंने सीताहरण तक मूर्तियां बना चुके हैं। उन्हें राज्याभिषेक तक मूर्तियों का निर्माण करना हैं। ये मूर्तियां राम मंदिर में लगाई जाएंगी। हालांकि, अभी ये तय नहीं हुआ कि ये किस जगह लगेंगी।
मूर्तियां राम मंदिर परिसर में लगाई जाएंगी
पूरा परिवार मूर्तियां बनाने में जुटा
रंजीत मंडल बताते हैं कि उनका पूरा परिवार मूर्ति बनाने में जुटा है। यहां तक की उनका ढाई साल का बेटा भी मूर्तियां बनाने लगा है। वह भी राम मंदिर के लिए बनाई जा रहीं मूर्तियों में सहयोग दे रहा है।
रंजीत मंडल का बेटा भी सुबह से ही कार्यशाला में आ जाता है।
मेरा सौभाग्य जो राम मंदिर के लिए मूर्तियां बना रहा- रंजीत
रंजीत ने कहा, मेरा सौभाग्य है कि मैं राम मंदिर के लिए मूर्तियां बना रहा हूं। मैंने पिछले जन्म में कोई अच्छा काम किया होगा, जो राम मंदिर के लिए मूर्तियां बना रहा हूं। उन्होंने बताया कि उनकी मां और बहन अभी भी असम के सिलचर में रहते हैं, जबकि उनके पिता, पत्नी और बच्चे अयोध्या में रहते हैं।
मूर्ति- राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न को खिलाते राजा दशरथ और उनकी रानियां।
पहले 2 हजार रुपए वेतन मिलता था, अब 12 हजार मिल रहा
मंडल ने कहा, जब वे अयोध्या आए थे, तब उन्हें 2 हजार रुपए वेतन मिलता था। लेकिन अब उन्हें 12 हजार रुपए प्रति महीने मिलता है। हालांकि, वे कहते हैं कि उनका इतने पैसों में गुजारा नहीं हो पाता है।