28 साल बाद बाबरी विध्वंस केस में अहम फैसला बुधवार को आया। लखनऊ स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 6 दिसंबर को गिराए गए बाबरी के विवादित ढांचे को लेकर जज सुरेंद्र कुमार यादव ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। फैसला सुनाते हुए जज ने कहा कि घटना पूर्व नियोजित नहीं थी।
लखनऊ. 28 साल बाद बाबरी विध्वंस केस में अहम फैसला बुधवार को आया। लखनऊ स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 6 दिसंबर को गिराए गए बाबरी के विवादित ढांचे को लेकर जज सुरेंद्र कुमार यादव ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। फैसला सुनाते हुए जज ने कहा कि घटना पूर्व नियोजित नहीं थी और उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं। इसलिए, सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है। इस केस में आडवाणी, जोशी, उमा भारती समेत 48 लोगों के खिलाफ एफआईआर हुई थी, जिसमें 16 लोगों का निधन हो चुका है।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट में पेश किए गए थे 351 साक्ष्य
कोर्ट में बाबरी विध्वंस मामले में 351 साक्ष्य पेश किए गए, वह जिरह के दौरान फेल हो गए। उस भीड़ में सारे कार सेवक नहीं थे। कुछ अराजक तत्व भी थे। वो लोग मंच से लगातार प्रयास कर रहे थे किसी तरह की तोड़फोड़ न की जाए।
साजिश के विषय में कोर्ट ने कहा, 'रामलला की मूर्तियां वहीं रखी हुई थीं। अगर पहले से कोई साजिश होती तो वहां से रामलला की मूर्ती को पहले ही हटा लिया गया होता।' सीबीआई के साक्ष्य में पुजारी के हवाले कहा गया है कि 'तीसरा गुंबद गिरने लगा तो हमने रामलला की मूर्तियों को बचा लिया।'
6 आरोपी कोर्ट में मौजूद नहीं थे, वीडियो के जरिए फैसला सुना
कोर्ट में 6 आरोपी मौजूद नहीं हैं। लालकृष्ण आडवाणी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट का फैसला सुना। वहीं, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, शिवसेना के पूर्व सांसद सतीश प्रधान, महंत नृत्य गोपाल दास, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी कोर्ट नहीं पहुंचे। इनके अलावा अन्य सभी आरोपी मौजूद हैं।
फैसला सुनाने वाले जज का रिटायरमेंट है आज
फैसला सुनाने वाले जज सुरेंद्र कुमार यादव का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है। इस मामले पर फैसला सुनाने के साथ ही वो रिटायर हो जाएंगे। इससे पहले वो 30 सितंबर 2019 को रिटायर होने वाले थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 30 सितंबर 2020 तक सेवा विस्तार दिया।