बैंड-बाजा और बारात: भारत में समलैंगिक जोड़े कैसे तोड़ रहे पुरानी रूढ़ियां? भव्य शादी-समारोह पर खर्च हो रहे करोड़ों रुपए

इस वक्त समलैंगिक शादियों को मान्यता देने का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। समलैंगिक जोड़ों को फिलहाल कानूनी मान्यता नहीं है फिर भी सेम सेक्स शादियां जमकर हो रही हैं।

 

Same-Sex Couples India. भारत में अभी तक सेम-सेक्स मैरिज को मान्यता नहीं मिली है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है। लेकिन दूसरी तरफ देखें तो समलैंगिक शादियां धड़ल्ले से हो रही हैं और किसी के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है कि अब तक कितनी समलैंगिक शादियां हो चुकी हैं।

चर्चा में रही चैतन्य शर्मा और अभिषेक रे की शादी

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हाल ही में चैतन्य शर्मा और अभिषेक रे की शादी ने सुर्खियां बटोरीं। इसलिए नहीं कि वे काफी फेमस हैं या फिर शादी में इसलिए कि कुछ गड़बड़ हो गई। उनकी शादी इसलिए फेमस हो गई क्योंकि दोनों पुरूष हैं। यह शादी मीडिया में भी छाई रही। रिपोर्ट्स की मानें तो दोनों ने बड़े धूमधाम के साथ शादी की। यह इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि अभी तक देश में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं मिली है। इस शादी में बाकी सामान्य शादियों की तरह ही हल्दी, मेंहदी जैसे रीति-रिवाज भी मनाए गए।

सुप्रीम कोर्ट में चल रहा समलैंगिक विवाह का मामला

सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह को वैध बनाने के मामले में दलीलें सुनी जा रही हैं। माना जा रहा है इस साल के अंत तक फैसला आने की संभावना है। लेकिन जब से अदालत ने 2018 में समलैंगिकता को प्रभावी ढंग से कम करने का फैसला किया है। तब से समलैंगिक भारतीय जोड़े विवाह परंपराओं का पालन करने लगे हैं। भारत में समलैंगिक शादियों का कोई कानूनी रिकॉर्ड नहीं है। इसलिए यह कहना असंभव है कि कितने जोड़ों ने शादी करने का फैसला किया है। सच कहा जाए तो हर साल होने वाली लाखों शादियों में यह छोटा सा अंश है। उद्योग के अनुमानों और शादी के पारंपरिक उपहार गोल्ड मार्केट के अनुसार शादियों की वजह से 17 ट्रिलियन रुपये ($210 बिलियन) से अधिक का राजस्व मिलता है।

 

 

विविधताओं से भरा है भारत देश

भारत की कुल आबादी 1 अरब 40 करोड़ को पार कर गई है। देश में 22 से ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं और आधा दर्जन से ज्यादा धार्मिक मान्यताएं हैं। लेकिन विवाह की कोई मान्य परंपरा नहीं है। बहुसंख्यक हिंदू शादी समारोह पर जमकर खर्च करते हैं। सैकड़ों मेहमान शामिल होते हैं। शादी स्क्वाड की सह-संस्थापक टीना थरवानी बताती हैं कि ईमानदारी से भारत में खर्च करने की कोई सीमा नहीं है। लेकिन हर साल शादियों पर 150 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च होता है।

एलजीबीटीक्यू के लिए भी बनाया गया ऐप

LGBTQ समुदाय को ध्यान में रखते हुए मैचमेकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए ऐप भी बनाया गया है। भारतीय मेगासाइट Matrimony.com ने इंद्रधनुष लव नामक एलजीबीटीक्यू ऑफशूट शुरू किया है। कंपनी के मुख्य विपणन अधिकारी अर्जुन भाटिया का कहना है कि अब इसके करीब 100,000 सदस्य हैं। वहीं उम्मेद के संस्थापक समीर श्रीजेश कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि समलैंगिक शादियां पहले नहीं होती थीं, लेकिन वे कम थीं। लेकिन 2018 में धारा 377 के डिक्रिमिनलाइजेशन के बाद LGBTQ समुदाय के अधिक लोग जीवनसाथी की तलाश खुलकर करने लगे हैं।

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