कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव: खड़गे के पास है अनुभव की ताकत, थरूर कर रहे बदलाव के बयार की बात

कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और शशि थरूर (Shashi Tharoor) आमने-सामने हैं। खड़गे के पास 50 साल से अधिक के अनुभव की ताकत है। वह गांधी परिवार के कट्टर वफादार हैं। 

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और शशि थरूर (Shashi Tharoor) आमने-सामने हैं। खड़गे के पास अनुभव की ताकत है तो शशि थरूर बदलाव की बात कर रहे हैं। दोनों नेताओं का राजनीतिक सफर बहुत अलग रहा है। 

80 साल के खड़गे जमीनी स्तर के राजनेता और गांधी परिवार के कट्टर वफादार हैं। दूसरी और 66 साल के थरूर मुखर, विद्वान और सौम्य होने के साथ ही अपने मन की बात कहने के लिए भी जाने जाते हैं। वह संयुक्त राष्ट्र में एक लंबे कार्यकाल के बाद 2009 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। 

Latest Videos

काफी अलग है खड़गे और थरूर की पृष्ठभूमि 
खड़गे और थरूर की पृष्ठभूमि भी काफी अलग-अलग है। खड़गे का जन्म कर्नाटक के बीदर जिले के वरावट्टी में एक गरीब परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा, बीए और कानून की पढ़ाई गुलबर्गा में की। दूसरी ओर थरूर का जन्म लंदन में हुआ था। केरल के नायर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले थरूर ने भारत और अमेरिका के प्रमुख संस्थानों में पढ़ाई की है, जिसमें दिल्ली में सेंट स्टीफंस कॉलेज और मैसाचुसेट्स में फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी शामिल हैं। उन्होंने 1978 में फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी से पीएचडी की थी।

खड़गे के पास है 50 साल का अनुभव
खड़गे के पास राजनीति में 50 साल से अधिक का अनुभव है। वह लगातार नौ बार विधायक चुने गए। वह ऐसे दलित नेता हैं, जिसने गृह जिले गुलबर्गा के संघ नेता से राष्ट्रीय स्तर के नेता तक का सफर तय किया है। 1969 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए थे और गुलबर्गा सिटी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की लहर के बाद भी खरगे ने 74,000 से अधिक वोटों के अंतर के साथ गुलबर्गा से जीत दर्ज की थी। वह दो बार सांसद चुने गए थे। 2019 के चुनाव में खड़गे हार गए थे, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजा।

यह भी पढ़ें- थरूर ने मेनिफेस्टो में किया ब्लंडर, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को नहीं बताया भारत का हिस्सा, मांगी बिना शर्त माफी

दूसरी ओर थरूर ने संयुक्त राष्ट्र में लंबे समय तक काम करने के बाद राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के लिए चुनाव लड़ा था। चुनाव में बान की-मून की जीत हुई थी। इसके बाद थरूर ने संयुक्त राष्ट्र से अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा की। वह 2009 में पहली बार सांसद चुने गए थे। उन्होंने केरल के तिरुवनंतपुरम सीट से तीन बार लोकसभा चुनाव जीते हैं।

यह भी पढ़ें- ऐन वक्त पर हटे दिग्गी, 10 फोटो में देखिए अध्यक्ष पद के लिए गांधी फैमिली के खास खड़गे की वाइल्ड कार्ड इंट्री

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

CM योगी आदित्यनाथ ने गिना दिया बंटने से अब तक क्या-क्या हुआ नुकसान #Shorts
'मुझे लव लेटर दिया... वाह मेरी महबूबा' ओवैसी का भाषण सुन छूटी हंसी #Shorts
'कांग्रेस को हिंदू भावनाओं की चिंता नहीं' क्या CM Yogi के इन सवालों का मिलेगा जवाब #Shorts
UPPSC Student Protest: प्रयागराज में क्या है छात्रों की प्रमुख मांग, चौथे भी डटे हुए हैं अभ्यर्थी
'जब तक कलेक्टरनी की मेंहदी न उतार दूं...' नरेश मीणा का एक और वीडियो हुआ वायरल