सनातन धर्म के पारंपरिक खेल जल्लीकट्टी को खत्म करने का प्रयास कर रही हैं विरोधी ताकतें, इसे बचाया जाना चाहिए: तेजस्वी सूर्या

Published : Nov 26, 2023, 05:51 PM ISTUpdated : Nov 26, 2023, 06:20 PM IST
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सार

तेजस्वी सूर्या ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को सनातन धर्म को बचाने के लिए एकजुट होना चाहिए। जल्लीकट्टू, सनातन धर्म का पारंपरिक खेल है।

Tejasvi Surya supported Jallikattu: बेहद खतरनाक पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू के समर्थन में बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या आ गए हैं। बेंगलुरू दक्षिण के सांसद और बीजेपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को सनातन धर्म को बचाने के लिए एकजुट होना चाहिए। जल्लीकट्टू, सनातन धर्म का पारंपरिक खेल है। लेकिन सनातन के इस पारंपरिक खेलों को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। धर्मविरोधी कुछ ताकतें एक एजेंडे के तहत जल्लीकट्टू जैसे खेलों को रोकने का काम कर रही हैं।

पारंपरिक खेलों को बचाना होगा

तेजस्वी सूर्या, तटीय कर्नाटक और केरल के कासरगोड में आयोजित स्लश ट्रैक भैंस दौड़ कंबाला के दूसरे दिन बोल रहे थे। कंबाला पहली बार बेंगलुरू में आयोजित किया जा रहा है। सूर्या ने कहा कि जल्लीकट्टू और कंबाला जैसे सनातन धर्म के खेलों को विभिन्न एजेंडे के तहत कुछ ताकतें रोकने के लिए अदालत तक जा रही हैं। जल्लीकट्टू और कंबाला को रोकने के लिए कई षड़यंत्र किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पार्टियों को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठना चाहिए। जल्लीकट्टू, कंबाला और हमारे त्योहारों के उत्सव की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए क्योंकि हमारा 'सनातन धर्म' तभी बचाया जा सकता है जब हम इन खेलों को बचाएंगे।

बेंगलुरू में कंबाला में 178 प्रतिभागी

बेंगलुरू में पहली बार आयोजित कंबाला में 178 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इतनी ही भैंसें इसमें हिस्सा ले रही हैं।

क्या है जल्लीकट्टू?

तमिलनाडू में पोंगल के समय जल्लीकट्टू की परंपरा निभाई जाती है। इसमें एक बैला को पीछा किया जाता है और उस पर काबू करने की कोशिश की जाती है। इस दौरान व्यक्ति को बैल की कूबड़ पकड़ने की कोशिश करनी होती है। बैल को वश में करने के लिए उसकी पूंछ और सींग को पकड़ा जाता है। बैल को काबू करने के चक्कर में कई लोग घायल भी हो जाते हैं। अगर बैल बेकाबू हो जाए तो जान जाने की खतरा भी बना रहता है।

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