NIA का बड़ा खुलासा, बेंगलुरु कैफे ब्लास्ट से जुड़े पाकिस्तान के तार, जानें कैसे किया प्लान?

बेंगलुरु बम ब्लास्ट को लेकर NIA की जांच तेजी से जारी है। इस दौरान उन्होंने दो आतंकियों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया है।

बेंगलुरु ब्लास्ट। बेंगलुरु के फेमस रामेश्वरम कैफ बम ब्लास्ट की जांच को लेकर NIA को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। उन्होंने बताया कि वो ऑनलाइन हैंडलर की पहचान करने की कोशिश कर रही हैं, जिसका कोडनेम "कर्नल" है। इस पर अधिकारियों ने शक जताया है कि कर्नल कोडनेम 2019-20 में IS अल-हिंद मॉड्यूल के साथ जुड़ने के बाद से घटना को अंजाम देने वाले गिरफ्तार हुए आतंकी अब्दुल मथीन ताहा और मुसाविर हुसैन शाज़िब के संपर्क में था। ऐसा माना जाता है कि IS अल-हिंद दक्षिण भारत में कई युवाओं को क्रिप्टो-वॉलेट के माध्यम से पैसे भेजता था। इसके अलावा वो धार्मिक स्थल, हिंदू नेताओं और प्रमुख जगहों पर हमले करने के लिए प्रेरित करता था।

एक वरिष्ठ आतंकवाद विरोधी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर जानकारी दी कि हमने नवंबर 2022 में मंगलुरु ऑटो रिक्शा विस्फोट के बाद कर्नल नाम के हैंडलर के बारे में सुना। वो मिडिल ईस्ट में कहीं से काम करता है, जो शायद अबू धाबी थी। ये एजेंसियां इस्लामिक स्टेट (IS) समूह के छोटे मॉड्यूल बनाकर आतंकी गतिविधियों को दोबारे से शुरू करने के लिए पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी ISI की मदद लेती थी। इस तरह से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI कर्नल कोडनेम वाले इंसान के साथ मिलकर काम करती है। ISI पहले भी भारत में आतंकी मॉड्यूल को IS के मदद से काम कराती थी। जैसा कि अक्टूबर में दिल्ली में 3 IS मॉड्यूल सदस्यों की गिरफ्तारी से पता चला था।

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NIA ने IS मॉड्यूल को लेकर किए बड़े खुलासे

NIA ने 1 मार्च को रामेश्वरम कैफे विस्फोट में शामिल संदिग्ध आतंकी ताहा और शाजिब को 12 अप्रैल को कोलकाता में एक ठिकाने से गिरफ्तार किया, जिसमें नौ लोग घायल हो गए थे। उनसे कर्नल, उसकी ऑनलाइन पहचान, भविष्य की आतंकी योजनाओं और शिवमोग्गा IS मॉड्यूल के अन्य सदस्यों के बारे में पूछताछ की जा रही है। NIA की चार्जशीट के मुताबिक, ताहा और शाजिब पहले 20 सदस्यीय अल-हिंद मॉड्यूल का हिस्सा थे, जिसने दक्षिण भारत के जंगलों में IS प्रांत स्थापित करने की योजना बनाई थी।

बेंगलुरु स्थित मेहबूब पाशा और कुड्डालोर स्थित खाजा मोइदीन के नेतृत्व में अल-हिंद मॉड्यूल पर काम करता था। ये गिरोह बेंगलुरु के गुरप्पनपल्या में पाशा के अल-हिंद ट्रस्ट कार्यालय से संचालित होता था।इन्होंने कर्नाटक के जंगलों के अंदर IS दैश्विलैया (प्रांत) स्थापित करने की योजना बनाई थी। 

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