टिकैत पर उनके ही साथी नेता ने लगाया भारत बंद के जरिए तालिबान की तर्ज पर आतंकवादी गतिविधियां फैलाने का आरोप

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों (Farmers protest) ने आज भारत बंद कराया है। इसे लेकर किसानों के एक नेता ने टिकैत पर आतंकवादी गतिविधियां फैलाने का आरोप लगाया है। सोशल मीडिया पर भी लोग आंदोलन को लेकर भड़के हुए हैं।

Asianet News Hindi | Published : Sep 27, 2021 6:48 AM IST / Updated: Sep 27 2021, 01:00 PM IST

नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों (Farmers protest) ने आज भारत बंद कराया है। इसे लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने राकेश टिकैत पर आतंकवादी गतिविधियां फैलाने का आरोप लगाया है। सोशल मीडिया पर भी लोग आंदोलन को लेकर भड़के हुए हैं। वहीं, बंद का असर सिर्फ दिल्ली में अधिक देखा जा रहा है।

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तालिबान की राह पर टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु्प्रताप सिंह ने मीडिया से कहा-भारत बंद से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। क्या भारत बंद करके ये (राकेश टिकैत) अपनी आतंकवादी गतिविधियों को और बढ़ाना चाहते हैं? आतंकी संगठन तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में कब्ज़ा किया, उस तरह की गतिविधियों को ये बढ़ाना चाहते हैं। मैं सभी पदाधिकारियों, ब्लॉक, ज़िला, मंडल, प्रदेश सबको आह्वान करता हूं कि भारत बंद का कोई सहयोग ना करे और इसका विरोध करे। ऐसे संगठन जो आतंकी गतिविधियों में शामिल है, उनको सरकार दबाने की कोशिश करें।

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आंदोलन को कांग्रेस से फंडिंग
भानुप्रताप पहले भी टिकैत पर गंभीर आरोप लगा चुके हैं। मार्च में उन्होंने कहा था कि जितने भी यह संगठन सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं, ये सब कांग्रेस के खरीदे हुए हैं। ये कांग्रेस के भेजे हुए संगठन हैं।

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सोशल मीडिया पर भारत बंद का विरोध
सोशल मीडिया पर भी किसानों के भारत बंद के खिलाफ आवाज उठने लगी है। पढ़िए कुछ कमेंट्स...

बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है!

यह किसान आंदोलन नहीं है, ये राजनीतिक आंदोलन है!

किसान भेष धरे गुंडों की गुंडागर्दी पर सरकार को एक्शन लेना चाहिए।

दिल्ली को छोड़कर सब जगह फेल... पंजाब से सरदार जी लोग बैठे है बस।

यूपी में बंद का नामोनिशान तक नहीं है।

अब हद से ज्यादा हो रहा है।

राजनीतिक पार्टियों एवं संगठनों द्वारा बंद किया जाना कब बंद होगा। और इस बंद के दौरान हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई कौन करेगा...???

बंद को राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में रखा जाना चाहिए और इससे हुए नुकसान की भरपाई संबंधित संगठन से की जानी चाहिए।

फर्जी किसान आंदोलन।

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