चेन्नई पुलिस (Chennai Police) ने हिरासत में हुई मौत को छिपाने की कोशिश की। परिवार के लोग चुप रहें और मामले को आगे नहीं बढ़ाएं इसके लिए पुलिस की ओर से परोक्ष रूप से एक लाख रुपए दिए गए। पुलिसकर्मियों ने परिवार पर शव का दाह संस्कार करने के लिए दबाव डाला।
चेन्नई। चेन्नई पुलिस (Chennai Police) ने हिरासत में हुई मौत को छुपाने की कोशिश की। परिवार के लोग चुप रहें इसके लिए परोक्ष रूप से एक लाख रुपए दिया। घटना जी5 सचिवालय कॉलोनी पुलिस थाने की है। पुलिस ने 18 अप्रैल को 25 साल के विग्नेश को हिरासत में लिया था। पुलिस के अनुसार अगले दिन उसे दौरा पड़ा और अस्पताल ले जाने के दौरान उसकी मौत हो गई।
विग्नेश के परिवार को शांत करने और मामले को निपटाने के लिए पुलिस की ओर से एक लाख रुपए का भुगतान किया गया। विग्नेश के बड़े भाई विनोद ने बताया कि परिवार को विग्नेश के नियोक्ता द्वारा 1 लाख रुपए दिया गया। नियोक्ता ने बताया कि ये पैसे पुलिस ने दिए हैं। शहर के मरीना बीच पर लोगों को घुड़सवारी कराने वाले विग्नेश को जी5 सचिवालय कॉलोनी पुलिस थाने ने सोमवार 18 अप्रैल की रात निर्माण मजदूर सुरेश के साथ हिरासत में लिया था। पुलिस ने बताया कि अगले दिन विग्नेश को दौरा पड़ा और अस्पताल ले जाने के दौरान उसकी मौत हो गई।
पुलिस ने सीधे नहीं दिए पैसे
विग्नेश के भाई विनोद ने बताया कि पुलिस ने सीधे पैसे नहीं दिए। विग्नेश रंजीत नामक एक व्यक्ति के घोड़े के स्टाल में वर्षों से काम कर रहा था। रंजीत ने मुझे फोन किया और बताया कि तुम्हारे भाई ने मेरे साथ बहुत मेहनत की है। उन्होंने कहा कि मैं इंस्पेक्टर से जो भी पैसा प्राप्त कर सकता हूं, मैं आपको दूंगा और इसे दाह संस्कार के लिए उपयोग करूंगा। उसने हमें 1 लाख रुपए दिए।
विनोद ने यह भी कहा कि पुलिस विग्नेश के शव को किलपौक मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मुर्दाघर से कृष्णमपेट श्मशान घाट ले गई और जोर देकर कहा कि शव का दाह संस्कार किया जाना चाहिए। हालांकि, परिवार इस बात पर अड़ा रहा कि उनके रीति-रिवाजों के अनुसार शव को दफनाया जाता है, दाह संस्कार नहीं किया जाता है। पुलिस के नहीं मानने पर, उन्होंने न्यायिक मजिस्ट्रेट यशवंतराव इंगरसोल से संपर्क किया। वह न्यायिक जांच का नेतृत्व कर रहे हैं। मजिस्ट्रेट ने पुलिस से परिवार को उनकी परंपराओं के अनुसार अंतिम संस्कार करने की अनुमति देने के लिए कहा। विग्नेश के शव को कृष्णमपेट कब्रिस्तान में दफनाया गया।
कड़ी सुरक्षा में हुआ अंतिम संस्कार
कड़ी सुरक्षा के बीच अंतिम संस्कार में शामिल हुए विग्नेश के दोस्त ने कहा, "कृष्णमपेट श्मशान में भारी सुरक्षा थी, पुलिस कर्मी बड़ी संख्या में थे और कई लोगों को अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होने दिया।" प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विनोद और विग्नेश के छोटे भाई सूर्या को पुलिस वाहन में श्मशान घाट लाया गया और अंतिम संस्कार के बाद पुलिस कर्मी उनके साथ श्मशान घाट से बाहर निकले। बता दें कि विग्नेश अनुसूचित जाति समुदाय से है। हिरासत में हुई मौत की भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत जांच की जाएगी।
करपगम (जिनके बेटे सुरेश को भी विग्नेश के साथ गिरफ्तार किया गया था और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था) ने पुष्टि की कि परिवार को शव का दाह संस्कार करने के लिए कहा गया था न कि दफनाने के लिए। विग्नेश के छोटे और बड़े भाई को अंदर रखा गया था। उनकी मौसी की बेटी ने लाश मांगी, लेकिन पुलिस ने नहीं दी। उन्होंने कहा कि वे सीधे शव को श्मशान घाट लाएंगे। वे एक वाहन में शव रखकर आए थे। भाइयों को शव के पास बैठने को कहा गया। पुलिस ने कहा कि शव दफनाओ मत। उसका दाह संस्कार कर दो।
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करपगम के अनुसार बुधवार शाम को विग्नेश के अंतिम संस्कार के बाद पुलिस कर्मियों ने विनोद के परिवार के सदस्यों को सूचित किया कि जज ने उन्हें 1 लाख रुपए का भुगतान करने के लिए कहा है और उनसे इस मुद्दे को आगे नहीं बढ़ाने का अनुरोध किया है। वे चाहते थे कि परिवार के सदस्य इस बात पर कायम रहें कि विग्नेश की मौत सांस लेने में तकलीफ के कारण हुई थी। उन्होंने परिवार से वादा किया कि उन्हें एक लाख रुपए दिए जाएंगे, जो उन्हें कल या परसों तक पहुंचा दिए जाएंगे।
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