लोगों ने क्या-क्या गंदा नहीं बोला, मगर इन ट्रांसजेंडर ने सरकारी अस्पताल में डॉक्टर बनकर इतिहास ही रच दिया

तेलंगाना के दो ट्रांसजेंडरों ने बतौर डॉक्टर सरकारी सेवा में शामिल होकर इतिहास रचा है। ऐसा पहली बार हुआ है। प्राची राठौड़ और रूथ जॉन पॉल ने हाल ही में सरकारी उस्मानिया जनरल अस्पताल (ओजीएच) में चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला।

हैदराबाद(Hyderabad). पर्सनल लाइफ के बड़े से बड़े चैलेंज को पार कर अपनी मेडिकल एजुकेशन पूरी करने वाले तेलंगाना के दो ट्रांसजेंडरों ने बतौर डॉक्टर राज्य में सरकारी सेवा में शामिल होकर इतिहास रचा है। ऐसा पहली बार हुआ है। प्राची राठौड़ और रूथ जॉन पॉल(Prachi Rathod and Ruth John Paul) ने हाल ही में सरकारी उस्मानिया जनरल अस्पताल (ओजीएच) में चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला। जानिए एक संघर्ष से जीत की कहानी...


मीडिया से बातचीत में प्राची राठौड़ अपने पुराने कड़वे दिनों को याद करके बताती हैं कि उन्हें इस जेंडर की वजह से शहर के एक सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल ने नौकरी से निकाल दिया था। प्राची ने सामाजिक कलंक और भेदभाव को याद किया, जिसे बचपन से ही सहना पड़ा था। आदिलाबाद के एक मेडिकल कॉलेज से 2015 में एमबीबीएस पूरा करने वाले राठौड़ ने कहा, "आपकी सभी उपलब्धियों के बावजूद कलंक और भेदभाव कभी नहीं जाएगा।"

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डॉ. प्राची राठौड़ पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए दिल्ली गए थे, लेकिन प्रतिकूल माहौल के कारण उन्हें हैदराबाद लौटना पड़ा। हालांकि राठौड़ ने यहां एक अस्पताल में काम करते हुए इमरजेंसी मेडिसिन में डिप्लोमा किया था। प्राची राठौड़ ने तीन साल तक शहर के एक सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल में काम किया, लेकिन जेंडर(transgender) के कारण उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया, क्योंकि अस्पताल को लगा कि इससे मरीज कम आने लगेंगे। एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) उनके सपोर्ट में आया। फिर प्राची राठौड़ ने एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे क्लिनिक में काम किया और बाद में ओजीएच में नौकरी हासिल की।

हालांकि प्राची राठौड़ ने बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देखा था, लेकिन 11वीं और 12वीं कक्षा के दौरान सबसे बड़ी चिंता यह थी कि अन्य छात्रों से अपने उत्पीड़न और बदमाशी( harassment and bullying) से बचा जाए? प्राची ने कहा-"वास्तव में यह एक बुरी किशोरावस्था थी। डॉक्टर बनने के बारे में सोचने से ज्यादा बड़ा मुद्दा यह था कि जीवन में कैसे बचा जाए और इन सभी से कैसे पार पाया जाए?"

ट्रांसजेंडरों के सामने आने वाली समस्याओं पर विचार करते हुए प्राची ने कहा कि नौकरियों और शिक्षा में कुछ आरक्षण इस समुदाय को जीवन में आने में मदद करेंगे। जैसे अल्पसंख्यकों के लिए सकारात्मक पहल की गई, वैसे ही ट्रांसजेंडर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 'यौन अल्पसंख्यकों-sexual minorities' पर विचार किया जाना चाहिए।

डॉ. प्राची ने कहा, "जब आपने हमें तीसरे लिंग के रूप में कैटेगराइज्ड किया है, तो मैं सिर्फ सरकार या उस व्यक्ति से पूछना चाहता हूं जिसने हमें अलग किया (जैसा कि) पहला लिंग कौन है और दूसरा लिंग कौन है?"

डॉ. रूथ जॉन ने अपने साथ हुए सामाजिक कलंक और भेदभाव को याद करते हुए कहा-“मैंने अपने जेंडर के कारण बचपन से ही बहुत संघर्ष किया है। डॉक्टर बनने के सपने ने मुझे और मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। मुझे समाज, दोस्तों और रिश्तेदारों से कई कलंक का सामना करना पड़ा। हालांकि, मैंने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है और मैं इसके लिए सुपरिटेंडेंट और सभी फैकल्टी को धन्यवाद देना चाहता हूं, क्योंकि मैं यहां उनके सपोर्ट के कारण हूं।”


उस्मानिया जनरल हॉस्पिटल के अधीक्षक नागेंदर ने बताया, "उस्मानिया अस्पताल में ट्रांसजेंडर क्लीनिक की स्थापना का प्रस्ताव था। 3 चिकित्सा अधिकारियों की रिक्तियां थीं। इन पदों के लिए 36 डॉक्टरों ने आवेदन किया था। इसमें हम ट्रांसजेंडर और HIV प्रभावित चिकित्सा पेशे को प्राथमिकता देना चाहते थे। हमने 3 डॉक्टरों की भर्ती की है, 2 ट्रांसवुमन हैं और 1 HIV प्रभावित चिकित्सा अधिकारी है।

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