सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट करने के बाद आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच मेयर चुनने को लेकर चला आ रहा संघर्ष समाप्त हो गया है।
Delhi Mayor election: आम आदमी पार्टी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने कहा कि उप राज्यपाल द्वारा नियुक्त दिल्ली के नागरिक निकाय के सदस्य को मेयर चुनाव में वोट करने का नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट करने के बाद आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच मेयर चुनने को लेकर चला आ रहा संघर्ष समाप्त हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट में मिली राहत
सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली के एमसीडी में मेयर और डिप्टी मेयर के पदों के लिए वोटिंग संबंधी विवाद को लेकर शुक्रवार को सुनवाई किया। सुनवाई में शुक्रवार को आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी नॉमिनेटेड मेंबर्स को शपथ दिलाकर वोट कराना चाहती है जोकि नियम विरुद्ध है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने साफ किया कि नॉमिनेटेड मेंबर्स को वोटिंग का अधिकार नहीं है। AAP मेयर पद के उम्मीदवार शेली ओबेरॉय द्वारा मेयर चुनाव जल्द कराने की मांग वाली याचिका दायर करने के साथ यह मांग किया था कि नामांकित सदस्य चुनाव में मतदान नहीं कर सकते। बेंच ने भी आम आदमी पार्टी के दावे की पुष्टि करते हुए कहा, "मनोनीत सदस्य चुनाव में नहीं जा सकते। संवैधानिक प्रावधान बहुत स्पष्ट हैं।" सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी को ओबेरॉय की याचिका पर एलजी के कार्यालय, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के प्रोटेम पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा और अन्य से जवाब मांगा था।
चौथी बार स्थगित हुआ था चुनाव
दिल्ली मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव गुरुवार 17 फरवरी को होना था। यह चौथा मौका है जब मेयर चुनाव को स्थगित करना पड़ा। हालांकि, इस बार चुनाव किसी हंगामा की वजह से नहीं बल्कि मामला कोर्ट में पहुंचने की वजह से स्थगित करना पड़ा था। मेयर, डिप्टी मेयर और निकाय की स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव किए सदन की पहली बैठक 6 जनवरी को हुई थी। भाजपा और आप के सदस्यों के बीच तीखी नोक-झोंक, धक्का मुक्की और हंगामे के चलते बैठक स्थगित कर दिया गया था। 24 जनवरी को दूसरी बैठक हुई थी। इस दिन शपथ ग्रहण समारोह के बाद बैठक स्थगित कर दिया गया था। 6 फरवरी को सदन की तीसरी बैठक हुई थी लेकिन उसे भी स्थगित कर दिया गया था।
उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत मेंबर्स को वोटिंग का अधिकार का मामला
दरअसल, दिल्ली के उपराज्यपाल ने एमसीडी में दस सदस्यों को मनोनीत कर दिया है। इन मनोनीत सदस्यों को वोटिंग का अधिकार दे दिया गया। मनोनीत सदस्यों को वोटिंग का अधिकार दिए जाने के बाद तीन बार चुनाव स्थगित किया जा चुका। आप नॉमिनेटेड मेंबर्स के वोटिंग का विरोध कर रही थी जबकि बीजेपी चाहती थी कि नॉमिनेटेड मेंबर्स का वोट स्वीकार किया जाए। हालांकि, दिल्ली नगर निगम अधिनियम भी कहता है कि मनोनीत सदस्य, या एल्डरमेन, सदन की बैठकों में मतदान नहीं कर सकते।
दिसंबर में एमसीडी के चुनाव संपन्न हुए थे। इसमें आम आदमी पार्टी ने 134 वार्डों में जीत हासिल कर बहुमत हासिल कर लिया है। बीजेपी 15 साल बाद सत्ता से बाहर हुई है। बीजेपी ने 104 वार्ड में जीत हासिल की है। कांग्रेस को नौ सीटें मिली है।
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