121 सीटें, 3.7 करोड़ वोट और सीमांचल की जंग: बिहार चुनाव के दूसरे चरण में कौन पलटेगा पासा?

Published : Nov 09, 2025, 12:59 PM IST
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सार

Bihar’s Second Phase Battle: 20 जिलों की 122 सीटों पर 3.7 करोड़ वोटर तय करेंगे बिहार की सत्ता का भविष्य। सीमांचल की खामोशी, जातीय समीकरण और मुस्लिम वोट बैंक-किसके पक्ष में झुकेगा पासा?

नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। पहले चरण के मतदान के बाद अब सभी की नज़रें दूसरे चरण पर टिकी हैं। इस चरण में 20 जिलों की 122 सीटों पर वोटिंग होने जा रही है। करीब 3.7 करोड़ मतदाता तय करेंगे कि बिहार की सत्ता की चाबी किसके हाथ जाएगी।

क्या दूसरे चरण में बदलेगा बिहार का सत्ता समीकरण?

  • पहले चरण के नतीजों ने भले ही सस्पेंस बढ़ा दिया हो, लेकिन असली मुकाबला अब होने वाला है।
  • इस चरण में 1,302 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें लगभग 10 प्रतिशत महिलाएं हैं।
  • वोटिंग 45,399 केंद्रों पर होगी, और इसमें 1.95 करोड़ पुरुष तथा 1.74 करोड़ महिलाएं अपना वोट डालेंगी।
  • 2020 के चुनाव की बात करें तो बीजेपी ने इन सीटों में से 42 सीटें, RJD ने 33, JDU ने 20, कांग्रेस ने 11, और लेफ्ट ने 5 सीटें जीती थीं।
  • अब देखना यह होगा कि 2025 में इन आंकड़ों का रुख किस ओर मुड़ता है।

किस इलाके में किसकी पकड़ मजबूत है?

  • दूसरे चरण की वोटिंग बिहार के मध्य, पश्चिमी और उत्तरी जिलों में फैली हुई है।
  • बीजेपी की पकड़ पारंपरिक रूप से तिरहुत, सारण और उत्तरी मिथिलांचल में मजबूत रही है।
  • वहीं, JDU की स्थिति भागलपुर क्षेत्र में प्रभावशाली रही है।
  • महागठबंधन (RJD-कांग्रेस-लेफ्ट) का दबदबा मगध क्षेत्र में दिखता है, जहां गया, औरंगाबाद, नवादा और जहानाबाद जैसे जिले आते हैं।

सीमांचल का सन्नाटा किसके हक में जाएगा?

  • सबसे ज़्यादा चर्चा में है सीमांचल का इलाका-पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार के 24 विधानसभा क्षेत्र।
  • यह इलाका बिहार की 17 प्रतिशत मुस्लिम आबादी का केंद्र माना जाता है।
  • 2020 में AIMIM ने यहां 5 सीटें जीतकर सभी को चौंकाया था, हालांकि बाद में उसके 4 विधायक RJD में शामिल हो गए।
  • अब सवाल ये है कि क्या इस बार सीमांचल फिर से बिहार की सत्ता की दिशा तय करेगा?

जातीय समीकरण: कौन बनेगा किंगमेकर?

  • बिहार की सियासत में जातीय गणित हमेशा बड़ा फैक्टर रहा है।
  • इस चरण में EBC (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) की आबादी 36% है, जो वोटिंग ट्रेंड तय कर सकती है।
  • नीतीश कुमार का ये पारंपरिक वोटबैंक अब कांग्रेस और RJD के लिए भी अहम लक्ष्य है।
  • वहीं गैर-यादव OBC और दलित वोटर NDA और महागठबंधन, दोनों के लिए निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

बड़ी रैलियां और साइलेंस पीरियड: कौन करेगा कमाल?

अब प्रचार खत्म हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की रैलियों से लेकर राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा तक, सभी पार्टियां आखिरी दौर में अपनी पूरी ताकत झोंक चुकी हैं। अब बारी है जनता की, जो 3.7 करोड़ वोटों से बिहार की राजनीति का नया अध्याय लिखेगी। बिहार चुनाव का दूसरा चरण सिर्फ वोटों की गिनती नहीं, बल्कि सीमांचल बनाम मगध, EBC बनाम यादव समीकरण, और विकास बनाम जाति राजनीति की निर्णायक जंग है। अब देखना है कि इस जंग में कौन पलटेगा पासा और कौन बनेगा बिहार का नया विजेता।

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