जनअधिकार पार्टी(जाप) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद पप्पू यादव को मंगलवार देर रात 14 दिनों की ज्यूडिशियल कस्टडी में बीरपुर जेल भेज दिया गया। उन्हें 32 साल पुराने एक मामले में गिरफ्तार किया गया है। हालांकि पटना पुलिस ने उन्हें कोरोना गाइड लाइन तोड़ने के आरोप में पकड़ा था। पप्पू यादव ने 7 मई को भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी के आवास पर खड़ीं 25 से अधिक एम्बुलेंस का मामला उजागर किया था। तब से विवाद चल रहा था।
पटना, बिहार. बिहार की राजनीति में सनसनी पैदा करने वाले जनअधिकार पार्टी(जाप) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद पप्पू यादव की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं। मंगलवार देर रात 14 दिनों की ज्यूडिशियल कस्टडी में बीरपुर जेल भेज दिया गया। उन्हें 32 साल पुराने एक मामले में गिरफ्तार किया गया है। हालांकि पटना पुलिस ने उन्हें कोरोना गाइड लाइन तोड़ने के आरोप में पकड़ा था। पप्पू यादव ने 7 मई को भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी के आवास पर खड़ीं 25 से अधिक एम्बुलेंस का मामला उजागर किया था। तब से विवाद चल रहा था। प्रभारी न्यायिक दंडाधिकारी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये मंगलवार को मामले की सुनवाई की। इसके बाद बीरपुर जेल भेजने के आदेश दिए गए।
32 साल पुराना मामला निकाला
पुलिस ने पप्पू यादव को 32 साल पुराने एक मामले में गिरफ्तार करना बताया है। पुलिस मंगलवार रात 11 बजे उन्हें मधेपुरा कोर्ट लेकर पहुंची थी। इस बीच पटना से मधेपुरा तक उनके समर्थकों जुटते गए। करीब 30-32 गाड़ियों का काफिला उनके साथ चलता रहा। कोर्ट के बाहर भी काफी भीड़ देखी गई। वैशाली में पप्पू यादव के समर्थकों से पुलिस की हल्की झड़प भी हुई। समर्थकों ने पुलिस का रास्ता रोकने की कोशिश की। बता दें कि मुरलीगंज थाने में केस नंबर 9/89 में 22 मार्च को मधेपुरा कोर्ट ने पप्पू यादव के खिलाफ वारंट जारी किया था।
पप्पू यादव ने कहा
गिरफ्तारी के बाद पप्पू यादव ने मीडिया के जरिये कहा कि वे जेल जा रहे हैं, लेकिन अब तेजस्वी यादव को सड़क पर उतरा चाहिए। पप्पू यादव ने कहा कि वे पटना में गरीबों को खाना खिला रहे थे। उन्हें ऐसा करने से रोक दिया गया। इसलिए वे भी भोजन छोड़ रहे हैं। पप्पू ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी के नेता अपनी जमीन बेचकर गरीबों को भोजन कराएंगे। पप्पू यादव ने कहा कि वे नीतीश कुमार से आग्रह करते हैं कि बिहार को प्राइवेट अस्पतालों से बचा लें। पप्पू यादव ने आरोप लगाया कि कोरोना गाइड लाइन के उल्लंघन के मामले में उन्हें पीरबहोर थाने से जमानत मिल चुकी थी। लेकिन षड्यंत्रपूर्वक मधेपुरा के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।