चुनाव आयोग पर सुप्रीम कोर्ट का डंडा: बिहार वोटर लिस्ट से 65 लाख हटाए गए नाम और कारण ECI वेबसाइट पर अपलोड होगा

Published : Aug 14, 2025, 06:57 PM ISTUpdated : Aug 14, 2025, 07:48 PM IST
bihar voter list 2025

सार

Bihar Voter List 2025: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में हटाए गए 65 लाख मतदाताओं के नाम और कारण मंगलवार तक ECI वेबसाइट पर डालने का आदेश दिया। जिनका नाम गलत हटाया गया, वे आधार कार्ड से दावा कर सकेंगे।

Bihar Voter List 2025: सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर चुनाव आयोग के खिलाफ बड़ा आदेश दिया है। बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (Special Intensive Revision) के बाद वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख नामों को वेबसाइट पर डालने का आदेश एपेक्स कोर्ट ने दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि हर एक मतदाता अपना नाम खोज सके इस तरह डेटा अपलोड किया जाए न कि पीडीएफ कॉपी। अदालत ने चुनाव आयोग को आदेश दिया कि इन सभी मतदाताओं की सूची और नाम हटाने का कारण मंगलवार तक ईसीआई की वेबसाइट (ECI Website) पर अपलोड किया जाए। नाम अपलोड किए जाने का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।

आधार कार्ड की कॉपी जमाकर नाम जोड़वा सकते हैं वोटर

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों के नाम गलत तरीके से हटाए गए हैं, वे अपना दावा (Claim) आधार कार्ड (Aadhaar Card) की कॉपी के साथ जमा कर सकेंगे। यह अहम है क्योंकि याचिकाओं में आधार को सबूत के तौर पर न मानने पर सवाल उठाए गए थे।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य आदेश

  • 65 लाख मतदाताओं की सूची जिला स्तर की वेबसाइटों (District Level Websites) पर अपलोड की जाए।
  • हर नाम के सामने नाम हटाने का कारण (Reason for Deletion) लिखा हो।
  • इस सूची का अखबार, दूरदर्शन, टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर व्यापक प्रचार किया जाए।
  • बूथ-वार सूची (Booth-wise List) पंचायत भवन, बीडीओ ऑफिस और पंचायत ऑफिस में नोटिस बोर्ड पर लगाई जाए ताकि लोग मैन्युअल रूप से भी देख सकें।
  • सूची सर्चेबल (Searchable) हो और EPIC नंबर से खोजी जा सके।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में क्या हुआ?

जस्टिस सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान कहा कि चुनाव आयोग ने बताया है कि 65 लाख में से 22 लाख लोग अब नहीं रहे। उन्होंने सवाल किया कि अगर 22 लाख लोग मर चुके हैं तो यह बूथ स्तर पर क्यों नहीं बताया गया? नागरिकों के अधिकार राजनीतिक दलों पर निर्भर नहीं होने चाहिए।

जस्टिस जॉयमाल्या बागची (Justice Joymalya Bagchi) ने पूछा कि स्पेशल इंटेंसिव रिविजन के बाद कितने नाम हटे? चुनाव आयोग के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी (Rakesh Dwivedi) ने जवाब दिया कि 65 लाख नाम नहीं हैं, जिनमें से 22 लाख की मृत्यु हो चुकी है। द्विवेदी ने कहा कि किसी का नाम डिलीट नहीं किया गया और अगर कोई जीवित व्यक्ति का नाम ‘मृत्यु’ के आधार पर हटाया गया है तो वह इसे सुधारने के लिए अधिकारियों से संपर्क कर सकता है।

जस्टिस बागची ने कहा कि हम पारदर्शिता चाहते हैं, पूरा डेटा सेट वेबसाइट पर डालिए। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आम नागरिक को खुद ऑनलाइन जाकर अपना नाम चेक करने का मौका मिलना चाहिए।

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