Bipin Rawat Death : हादसे से पहले पायलट की तरफ से नहीं आई कोई डिस्ट्रेस कॉल, यानी अचानक क्रैश हुआ हेलिकॉप्टर!

हेलिकॉप्टर हादसा (Helicopter Crash) होने से पहले पायलट (Pilot) की ओर से कोई डिस्ट्रेस कॉल (Mayday) नहीं की गई थी, बल्कि पायलट ने सुलूर एटीसी (ATC)को बताया था कि उन्होंने वेलिंगटन हेलीपैड पर लैंडिंग प्रोसेस शुरू कर दी है। यह कॉल लैंडिंग से 7-8 मिनट पहले का था। 

कुन्नूर/नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) का हेलिकॉप्‍टर 8 दिसंबर को कुन्नूर में क्रैश हो गया था। हादसे में रावत और उनकी पत्नी मधुलिका समेत 13 लोगों की मौत हो गई। सवाल यह है कि आखिर इतना एडवांस्ड हेलिकॉप्टर क्रैश कैसे हुआ? क्या इसमें तकनीकी खराबी की कोई गुंजाइश है। जनरल रावत के हेलिकॉप्टर ने 11:48 बजे उड़ान भरी थी और उसे 12:15 बजे लैंड होना था। लेकिन इसका एटीसी से 12:08 बजे संपर्क टूट गया। हादसे के वक्त जनरल रावत का हेलिकॉप्टर लैंडिंग पॉइंट से महज 5 मिनट की दूरी पर था। विमान हादसा होने से पहले पायलट की ओर से कोई डिस्ट्रेस कॉल (Mayday) नहीं की गई थी, बल्कि पायलट ने सुलूर एटीसी (ATC)को बताया था कि उन्होंने वेलिंगटन हेलीपैड पर लैंडिंग प्रोसेस शुरू कर दी है। यह कॉल लैंडिंग से 7-8 मिनट पहले का था। 

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, यह नहीं हो सकतीं वजह 

तकनीकी खामी : रक्षा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि Mi-17V5 एक बेहद एडवांस्ड हेलिकॉप्टर तो है ही, साथ ही वीवीआईपी (VVIP) उड़ान से पहले इसकी बेहद बारीकी से जांच होती है। किसी भी पुर्जे में 5 फीसदी भी खराबी है तो उसे तत्काल बदला जाता है। ऐसे में तकनीकी खामी का सवाल ही नहीं उठता है। हेलिकॉप्टर ट्विन इंजन है, इसलिए इंजन खराब होने के चलते क्रैश होने की आशंका भी गले नहीं उतर रही। 

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खराब मौसम : Mi-17V5 हेलिकॉप्टर में वेदर रडार सिस्टम और ऑटो पायलट मोड जैसे बहुत सारे एडवांस्ड फीसर्च हैं। एयरफोर्स से जुड़े सूत्रों के मुताबि मौसम की जानकारी, फॉग की डेंसिटी, हवा की रफ्तार, विजिलिटी की जानकारी पायलट को पहले से होती है। विजिबिलिटी कम होती तो VVIP उड़ान भरी ही नहीं जाती। मौसम बीच में खराब होता है तो पायलट कहीं और लैंड करने में सक्षम होते हैं। मौसम इसलिए भी वजह नहीं हो सकता, क्योंकि पायलट लगातार एटीसी के संपर्क में रहे और लैंडिंग स्पॉट से महज 5 मिनट पहले हादसा हुआ। 

मानवीय चूक : इस हेलिकॉप्टर को विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान उड़ा रहे थे। हादसे में उनका भी निधन हो गया। इस हादसे में मानवीय चूक की आशंका इसलिए कम हो जाती है, क्योंकि पृथ्वी सिंह सेना के सबसे अनुभवी पायलट्स में थे। वे कोयंबटूर में एयरफोर्स स्टेशन के 109 हेलिकॉप्टर यूनिट के कमांडिंग अफसर थे। उड़ान भरने से पहले हर विमान और हेलिकॉप्टर्स की पूरी जांच होती है। इसमें भी यह फिट था। 

तो क्या हो सकती है वजह 
हादसे की जो सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है वो है हेलिकॉप्टर का कम ऊंचाई पर होना। इसका एक वीडियो भी सामने आया है। इसमें साफ दिख रहा है कि हेलिकॉप्टर आसमान में उड़ते हुए अचानक से आग का गोला बन जाता है। ऐसे में लैंडिंग के समय इसके पेड़ से टकराने की आशंका जताई जा रही है। 

हादसे की जांच कर रही एयरफोर्स 
इस हादसे की वजहों की जांच एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह के नेतृत्व में वायुसेना की एक टीम कर रही है। मानवेंद्र सिंह Indian Air Force के ट्रेनिंग कमांड के कमांडर हैं और हेलिकॉप्टर पायलट हैं। उन्‍हें 29 दिसंबर 1982 को हेलिकॉप्टर पायलट के रूप में भारतीय वायु सेना की फ्लाइंग ब्रांच में शामिल किया गया था। उन्‍होंने इसी साल एक फरवरी को भारतीय वायु सेना की दक्षिणी वायु कमान के प्रमुख का कार्यभार संभाला था। सितंबर में उन्हें एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ( ट्रेनिंग कमांड) की जिम्मेदारी दी गई।

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