नई दिल्ली। भाजपा ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी पर अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस से पैसे लेकर भारत विरोधी एजेंडे पर काम करने का आरोप लगाया है। रविवार को पार्टी की ओर से X पर इस संबंध में कई पोस्ट किए गए। इनमें भाजपा ने ग्राफिक चार्ट दिखाकर लोगों को समझाया है कि सोनिया गांधी को किस तरह सोरोस से पैसे मिले।
भाजपा ने अपने पहले पोस्ट में कहा, "राजीव गांधी फाउंडेशन (RGF) कांग्रेस पार्टी का एक प्रमुख वाहन है। इसी अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। क्या यह विदेशी पैसे का इस्तेमाल देश विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कर रहा है? 2007-08 में RGF ने ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क (HRLN) के साथ साझेदारी की। इस संगठन को जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी इंस्टीट्यूट से पैसे मिले थे। भारत की एक प्रमुख पार्टी से जुड़ा फाउंडेशन ऐसे संदिग्ध संबंधों वाले विदेशी संगठन के साथ गठजोड़ क्यों करेगा?"
भाजपा ने कहा, "HRLN के सोरोस और उनके संगठनों से गहरे संबंध हैं। इसने भारत के कानूनों के मामले में तटस्थता नहीं दिखाई है। राजद्रोह कानूनों के खिलाफ अभियान चलाने से लेकर अवैध रोहिंग्या प्रवासियों को कानूनी सहायता प्रदान करने तक, HRLN की गतिविधियों ने भारत की संप्रभुता को कमजोर किया है। कांग्रेस ऐसे संगठनों के साथ कैसे गठबंधन कर सकती है जो लगातार भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करने की कोशिश करते रहे हैं? RGF और HRLN के बीच गठबंधन के असली इरादे क्या थे?"
बीजेपी ने तीसरे पोस्ट में लिखा, "2018-19 में RGF ने अमन बिरादरी ट्रस्ट (एबीटी) के साथ मिलकर काम किया। इसकी स्थापना सोरोस के सहयोगी हर्ष मंदर ने की थी। मंदर सोनिया गांधी की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य के रूप में हिंदू विरोधी सांप्रदायिक हिंसा विधेयक का मसौदा तैयार करने में शामिल थे।"
चौथे पोस्ट में भाजपा ने कहा, "RGF को सिर्फ विदेशी संस्थाओं से ही फंड नहीं मिला था। इसे 1991 में कांग्रेस सरकार के दौरान करदाताओं का पैसा भी मिला था। उस वक्त मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे। क्या भारत के करदाताओं का पैसा ऐसे फाउंडेशन को देना चाहिए जो विदेशी समर्थित एजेंडे को आगे बढ़ाता है और भारत की संप्रभुता को कमजोर करता है?"
भाजपा ने कहा, "RGF ने चीनी सरकार से भी चंदा लिया। भारत की सुरक्षा की चिंता करने का दावा करने वाला कोई भी राजनीतिक दल ऐसे देश से चंदा कैसे ले सकता है जो हमारी संप्रभुता के लिए सीधा खतरा है? जब भारत की सीमाएं खतरे में थीं तब कांग्रेस RGF के जरिए उन्हीं ताकतों से पैसे लेने को तैयार थी।"
भाजपा ने आरोप लगाया, "नेहरू-गांधी परिवार के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी ने बार-बार यह दिखाया है कि वह सत्ता के लिए भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों को कमतर आंकने सहित कुछ भी करने को तैयार है। चाहे सर्जिकल स्ट्राइक हो, बालाकोट हो या गलवान घाटी की झड़प, कांग्रेस की प्राथमिकता हमेशा किसी भी कीमत पर अस्तित्व बनाए रखना रही है।"