अमित मालवीय का ममता पर हमला, 'जिन खिलाड़ियों ने बंगाल का नाम रोशन किया उनकी भी कद्र नहीं'

भाजपा के राष्ट्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रभारी और पश्चिम बंगाल के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने बंगाल की ममता सरकार पर खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने की अनदेखी करने पर हमला बोला है। 

Yatish Srivastava | Published : Jul 16, 2024 10:22 AM IST

नेशनल न्यूज। भाजपा ने एथलीट खिलाड़ियों की बंगाल सरकार की ओर से अनदेखी पर सवाल उठाया है। भाजपा के राष्ट्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रभारी और पश्चिम बंगाल के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने आरोप लगाया है कि ममता सरकार में प्रतिभावान खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए ममता सरकार कुछ नहीं कर रही है। देश की प्रतिभाएं बंगाल सरकार में दम तोड़ रही हैं। उनकी उपलब्धियों को बंगाल सरकार ने पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। 

भाजपा नेता ने ममता सरकार पर बोला हमला 
भाजपा नेता अमित मालवीय ने कई खिलाड़ियों के नाम गिनाकर ममता सकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि बारानगर के तीरंदाज अतनु दास, झारग्राम की कलात्मक जिमनास्ट प्रणति नायक, नैहाटी की टेबल टेनिस खिलाड़ी सुतीर्थ मुखर्जी, एक अनिवासी बंगाली गोल्फ खिलाड़ी अनिर्बान लाहिड़ी, मेदिनीपुर की शॉट पुटर आभा खटुआ, कोलकाता की घुड़सवार अनुश अग्रवाल, कोलकाता की तीरंदाज अंकिता भक्त इन खिलाड़ियों का नाम शेयर कि और पूछा है कि क्या आप इन्हें जानते हैं। उन्होंने बताया कि ये पश्चिम बंगाल की वे प्रतिभाएं हैं जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में विश्व पटल पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। हमारे देश और बंगाली समाज को भी गौरव दिलाया लेकिन उनकी अनदेखी हो रही है। 

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खिलाड़ियों को जरूरी मान्यता और वित्तीय सहायता तक नहीं
भाजपा नेता ने कहा है कि खिलाड़ियों की असाधारण उपलब्धियों के चलते बंगाल सरकार की प्रतिष्ठा भी बढ़ी है, बावजूद इसके आज इन खिलाड़ियों को कोई उपलब्धि नहीं मिली है। ममता सरकार इन एथलीटों को भविष्य में आगे बढ़ने के लिए किसी भी तरह की मदद करने में असफल साबित हुई है। 

खिलाड़ियों के लिए आए धन का गलत प्रयोग
बंगाल के ये प्रतिष्ठित रत्न 'बांग्लार मेये' और बहुमुखी भ्रष्टाचार के कारण खिलाड़ी वित्तीय सहायता से वंचित हैं। हमारे मेहनती एथलीटों की जीत और महत्वाकांक्षाओं का जश्न मनाने के बजाय अपनी राजनीतिक आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए धन का उपयोग करती है। पश्चिम बंगाल सरकार से जरूरी मदद और समर्थन न मिलने पर एथलीट अन्य राज्यों से वित्तीय सहायता और स्पॉन्सशिप लेने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल के खिलाड़ियों की क्षमताओं को दबाने में यहां का प्रशासन ही दोषी है।

 

 

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