कोरोना टेस्ट न कराएं तो गोली मारना चाहिए....तब्लीगी पर भड़के भाजपा विधायक, कहा, कोरोना फैलाना आतंकवाद

भाजपा के विधायक रेणुकाचार्य ने तो यहां तक कह दिया कि तब्लीगी जमात के ऐसे सदस्यों जिन्होंने नई दिल्ली में हुए कार्यक्रम में हिस्सा लिया और अब कोरोना का टेस्ट नहीं करा रहे उन्हें गोली मार देना चाहिए।  

Asianet News Hindi | Published : Apr 8, 2020 9:26 AM IST

नई दिल्ली. देश में कोरोना संक्रमण बढ़ने के पीछे तब्लीगी जमात को एक बड़ी वजह माना जा रहा है। इस बीच सोशल मीडिया पर तब्लीगी जमात में शामिल लोगों की आलोचना भी हो रही है। भाजपा के विधायक रेणुकाचार्य ने तो यहां तक कह दिया कि तब्लीगी जमात के ऐसे सदस्यों जिन्होंने नई दिल्ली में हुए कार्यक्रम में हिस्सा लिया और अब कोरोना का टेस्ट नहीं करा रहे उन्हें गोली मार देना चाहिए। बार-बार अपील के बाद भी तब्लीगी के लोग सामने नहीं आ रहे हैं और कोरोना का खतरा फैला रहे हैं।

 

"वायरस को फैलाना आतंकवाद की तरह है"
मंगलवार को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए उन्होंने कहा,  COVID-19 को फैलाना भी आतंकवाद की तरह है और वायरस फैलाने वाले सभी देशद्रोही हैं। जो लोग धार्मिक सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद दिल्ली से लौटे हैं, उन्हें इलाज के लिए सीधे अस्पताल जाना चाहिए। लेकिन उनमें से कुछ ऐसा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे लोगों की गोली मारकर हत्या की जाती है तो भी यह अनुचित नहीं होगा। उन्होंने फिर भी कहा कि वह पूरे मुस्लिम समुदाय को निशाना नहीं बना रहे हैं, बल्कि उन लोगों का जिक्र कर रहे हैं जिन्होंने इलाज से इनकार किया।

 

"मुस्लिम समुदाय को लेकर गलत भाषा का इस्तेमाल न करें"
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने हाल ही में राज्य में लोगों को चेतावनी दी थी कि वो मुस्लिम समुदाय को लेकर किसी भी तरह की गलत भाषा का इस्तेमाल ना करें। मुख्यमंत्री के चेतावनी के बाद भी भाजपा विधायक ने इस तरह का बयान दिया।

मुस्लिमों को बलि का बकरा बनाना वायरस की दवा नहीं: ओवैसी
ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, लॉकडाउन को बिना योजना बनाए ही लागू कर दिया गया। कोरोना से नौसिखियों की तरह से निपटने की कोशिश की आलोचना से बचने की कोशिश की जा रही है। भाजपा के लोगों को मालूम होना चाहिए कि वो व्हॉट्सऐप के जरिए कोरोना वायरस को नहीं हरा सकते। मुस्लिमों को बलि का बकरा बनाना कोरोना वायरस की दवा नहीं है। 

क्या है निजामुद्दीन मरकज तब्लीगी जमात मामला?
निजामुद्दीन में 1 से 15 मार्च तक तब्लीगी जमात मरकज का जलसा था। यह इस्लामी शिक्षा का दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र है। यहां हुए जलसे में देश के 11 राज्यों सहित इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से भी लोग आए हुए थे। यहां पर आने वालों की संख्या करीब 5 हजार थी। जलसा खत्म होने के बाद कुछ लोग तो लौट गए, लेकिन लॉकडाउन की वजह से करीब 2 हजार लोग तब्लीगी जमात मरकज में ही फंसे रह गए। लॉकडाउन के बाद यह इकट्ठा एक साथ रह रहे थे। तब्लीगी मरकज का कहना है कि इस दौरान उन्होंने कई बार प्रशासन को बताया कि उनके यहां करीब 2 हजार लोग रुके हुए हैं। कई लोगों को खांसी और जुखाम की भी शिकायत सामने आई। इसी दौरान दिल्ली में एक बुजुर्ज की मौत हो गई। जांच हुई तो पता चला कि वह कोरोना संक्रमित था और वहीं निजामुद्दीन में रह रहा था। तब इस पूरे मामले का खुलासा हुआ।

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