बसपा अध्यक्ष मायावती ने नियुक्तियों एवं पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से सोमवार को असहमति जतायी है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि पदोन्न्ति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है।
नई दिल्ली. बसपा अध्यक्ष मायावती ने नियुक्तियों एवं पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से सोमवार को असहमति जतायी है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि पदोन्न्ति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है।
माया ने ट्वीट कर SC के फैसले पर जताई असहमती
मायावती ने ट्वीट कर कहा, ‘‘कल माननीय उच्चतम न्यायालय ने प्रमोशन में आरक्षण को लेकर जो कुछ कहा है, उससे बसपा सहमत नहीं है।’’ उन्होंने केन्द्र सरकार से इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने की मांग करते हुये कहा, ‘‘केन्द्र सरकार से मांग है कि वह इस मामले में तत्काल सकारात्मक कदम उठाये। अर्थात पूर्व की कांग्रेसी सरकार की तरह इसे लटकाया ना।’’
SC ने अपने फैसले में क्या कहा था
शुक्रवार को कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 16 (4) और 16 (4-ए) आरक्षण लागू करने की शक्ति जरूर देता है, लेकिन यह तभी हो सकता है जब राज्य सरकार यह मानती हो कि सरकारी सेवाओं में कुछ समुदायों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। बेंच ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि राज्य सरकार आरक्षण देने को प्रतिबद्ध नहीं है। लेकिन किसी व्यक्ति द्वारा इसको लेकर दावा करना मौलिक अधिकारों का हिस्सा नहीं है और न ही इस संबंध में कोर्ट राज्य सरकार को कोई आदेश जारी कर सकता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा 2012 में दिए गए उस फैसले को पलट दिया है। जिसमें विशेष समुदायों को कोटा देने के लिए राज्य सरकार को आदेश दिया गया था। उस दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, कोलिन गोंजाल्विस और दुष्यंत दवे ने दलील दी थी, अनुसूचित जाति/जनजातियों के लिए अनुच्छेद 16 (4) और 16 (4-ए) के तहत विशेष प्रावधान करना राज्य सरकार का कर्तव्य है।