बजट एक ऐसा शब्द है, जिसका आम इंसान से लेकर सरकार तक सभी का वास्ता है। कहां से आमदनी होगी, कहां कितना खर्च होगा। कितने पैसे बचेंगे या कहां कटौती करनी पड़ेगी। इस बारे में हमें सबकुछ सोचना पड़ता है। ऐसे में आप सोच सकते होंगे कि जब एक परिवार का बजट बनाने में इतनी माथापच्ची होती है, तो देश का बजट कैसे तैयार होता होगा।
नई दिल्ली. बजट एक ऐसा शब्द है, जिसका आम इंसान से लेकर सरकार तक सभी का वास्ता है। कहां से आमदनी होगी, कहां कितना खर्च होगा। कितने पैसे बचेंगे या कहां कटौती करनी पड़ेगी। इस बारे में हमें सबकुछ सोचना पड़ता है। ऐसे में आप सोच सकते होंगे कि जब एक परिवार का बजट बनाने में इतनी माथापच्ची होती है, तो देश का बजट कैसे तैयार होता होगा।
देश का बजट तैयार करना अहम प्रक्रिया है। इसके लिए काफी लंबे वक्त से तैयारी करनी पड़ती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के मुताबिक, केंद्रीय बजट किसी साल सरकार की अनुमानित आमदनी और खर्च का लेखाजोखा होता है।
लोगों से मांगे जाते हैं सुझाव
आम बजट में सहभागिता बढ़ाने के लिए वित्त मंत्रालय पिछले कई सालों से नागरिकों से सुझाव मांगता है। हर साल की तरह इस बार भी जनता से सुझाव देने के लिए कहा गया। वित्त मंत्रालय उद्योग से जुड़े संगठनों और पक्षों से भी सुझाव मांगता है।
कौन बनाता है बजट?
- बजट बनाने की वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और सरकार के अन्य मंत्रालय शामिल होते हैं। वित्त मंत्रालय खर्च के आधार पर गाइडलाइन जारी करता है। इसके बाद मंत्रालय अपनी अपनी मांग बताते हैं। वित्त मंत्रालय के बजट डिवीजन पर बजट बनाने की जिम्मेदारी होती है। यह नोडल एजेंसी होता है।
- बजट डिवीजन सभी राज्यों, केंद्र शासित राज्यों, मंत्रालयों और स्वायत्त निकायों, और रक्षा बलों को सर्कुलर जारी करके उन्हें अगले वर्ष के अनुमानों को बताने के लिए कहता है। इसके बाद वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग में इन मांगों पर चर्चा की जाती है।
- इसके साथ ही आर्थिक मामलों का विभाग और राजस्व विभाग अर्थशास्त्रियों, कारोबारियों, किसान और सिविल सोसाइटी जैसे हितधारकों के साथ बैठक करते हैं। इस दौरान इनके विचार लिए जाते हैं।
पीएम के साथ होती है चर्चा
बजट में टैक्स प्रस्तावों पर अंतिम फैसला वित्त मंत्री के साथ लिया जाता है। बजट को अंतिम रूप देने से पहले प्रस्तावों पर प्रधानमंत्री के साथ चर्चा की जाती है।
ऐसा दिया जाता है अंतिम रूप
बजट के सभी दस्तावेज चुनिंदा अधिकारी ही तैयार करते हैं। इस दौरान इस्तेमाल होने वाले सभी कंप्यूटर्स दूसरे नेटवर्क से डीलिंक कर दिए जाते हैं। बजट पर काम करने वाला लगभग 100 लोगों का स्टाफ करीब 2-3 हफ्ते तक नॉर्थ ब्लॉक ऑफिस में ही रहता है। कुछ दिन उनको बाहर आने की इजाजत नहीं होती। इन्हें बेसमेंट स्थित प्रिंटिंग प्रेस में लॉक कर दिया जाता है। इस दौरान वे अपने परिजनों तक से बातचीत नहीं कर सकते।
ऐसे मिलती है पेश करने की अनुमति
सरकार बजट पेश करने की तारीख के लिए लोकसभा स्पीकर की सहमति लेती है। इसके बाद लोकसभा सचिवालय के महासचिव राष्ट्रपति से मंजूरी लेते हैं। वित्त मंत्री लोकसभा में बजट पेश करते हैं। वित्त मंत्री के भाषण के बाद सदन के पटल पर बजट रखा जाता है।