कोविशील्ड का पहला डोज लेने पर भी एंटीबॉडी नहीं बनने से नाराज लखनऊ का एक व्यापारी पहुंचा पुलिस के पास

कोरोना संक्रमण से लड़ाई में वैक्सीन काफी मददगार मानी जा रही है। लेकिन लखनऊ का एक व्यापारी कोविशील्ड की पहली डोज लेने के बावजूद एंटी बॉडी नहीं बनने की शिकायत लेकर पुलिस के पास जा पहुंचा। उसने सीरम इंस्टीट्यूट, ICMR और WHO के खिलाफ लिखित में शिकायती आवेदन दिया है। पुलिस का कहना है कि इस मामले में आला अधिकारियों के अलावा स्वास्थ्य विभाग को अवगत कराया गया है।

लखनऊ, यूपी. कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत में वैक्सीनेशन पर जोर दिया जा रहा है, ताकि संक्रमण से लड़ा जा सके। वैक्सीनेशन अभियान को बढ़ावा देने केंद्र और राज्य सरकारें लगातार कोशिशें कर रही है। वैक्सीन निर्माता कंपनियां भी उत्पादन बढ़ाने में लगी हैं। इस बीच वैक्सीन का पहला डोज लेने के बावजूद एंटीबॉडी नहीं बनने की कथित शिकायत लेकर यूपी का एक व्यापारी पुलिस के पास जा पहुंचा। उसने कोवीशील्ड वैक्सीन की निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII), वैक्सीन को मंजूरी देने वाले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च(ICMR) के अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) के खिलाफ पुलिस में शिकायत दी है।  व्यापारी ने कहा है कि अगर उसके मामले में FIR दर्ज नहीं की गई, तो वो कोर्ट जाएगा।

व्यापारी का कहना है कि कंपनी का दावा सच नहीं है
टूर एंड ट्रैवल का बिजनेस करने वाले प्रताप चंद्र ने अपनी शिकायत में कहा कि उनके साथ धोखा हुआ है, क्योंकि कंपनी के दावे के बावजूद उनके शरीर में एंटीबॉडी नहीं बनी। इसलिए कंपनी के साथ उसे अनुमति देने वाली संस्थाओं पर भी FIR दर्ज होनी चाहिए। आवेदन में सीरम के CEO अदार पूनावाला, ICMR के डायरेक्टर बलराम भार्गव, WHO के DG डॉ. टेड्रोस एधोनम गेब्रेसस, स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की डायरेक्टर अपर्णा उपाध्याय के नाम का जिक्र किया है। आशियाना थाने के इंस्पेक्टर पुरुषोत्तम गुप्ता ने बताया कि इस संबंध में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग को भी अवगत कराया गया है।

Latest Videos

व्यापारी ने इन बिंदुओं को लेकर की शिकायत
व्यापारी ने कहा कि कोविशील्ड को लेकर दावा किया गया कि वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद एंटीबॉडी बनना शुरू हो जाएगी, लेकिन उसके साथ ऐसा नहीं हुआ। सीरम की इस वैक्सीन को ICMR, WHO और स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंजूरी दी। वहीं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने इसका प्रचार किया। ऐसे में इनके खिलाफ शिकायत बनती है। व्यापारी ने कहा कि वो शुद्ध शाकाहारी हूं। लेकिन कोरोना को देखते हुए उसने RNA बेस्ड इंजेक्शन लगवाना मंजूर किया। इसमें मां के गर्भ में पल रहे बच्चे की किडनी की 293 सेल्स डाली गई है। सीरम ने इसका उल्लेख अपनी वेबसाइट पर किया है। व्यापारी ने कहा कि ऐसा हर देश में बैन है। व्यपारी ने कहा कि उसके साथ धोखा हुआ है। इसलिए उसकी हत्या के प्रयास और धोखाधड़ी का मामला बनता है। व्यापारी का आरोप है कि एंटीबॉडी तो बनी नहीं, उल्टा प्लेटलेट्स घट गए।

प्रताप चंद ने शिकायत में 21 मई को ICMR और स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इसमें ICMR के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव के बयान का हवाला दिया है। व्यापारी ने कहा कि उसने 25 मई को एक सरकारी लैब में अपना एंटीबॉडी GT टेस्ट कराया था। इससे खुलासा हुआ कि उसमें एंटीबॉडी नहीं बनी, बल्कि प्लेटलेट्स घटकर तीन लाख से डेढ़ लाख तक पहुंच गई थीं। 

Share this article
click me!

Latest Videos

'Rahul Gandhi की चौथी पीढ़ी भी धारा 370...' Amit Shah ने भरी हुंकार, टेंशन में आ गई कांग्रेस
खाने में सोच समझकर करें नमक का इस्तेमाल, शरीर को पहुंचाता है कई नुकसान
टीम डोनाल्ड ट्रंप में एलन मस्क और भारतवंशी रामास्वामी को मौका, जानें कौन सा विभाग करेंगे लीड
Iran Israel War: Hezbollah के साथ जंग का इजराइलियों में खौफ, कई लोगों ने छोड़ा देश। Netanyahu
New CJI Sanjiv Khanna ने दिखाए तेवर, जानें क्यों वकील को फटकारा । Supreme Court