येस बैंक खाताधारकों के लिए खुशखबरी, इस दिन से हट जाएंगी सभी पाबंदियां

 आर्थिक संकट से जूझ रहे येस बैंक के खाताधारकों के लिए शुक्रवार को अच्छी खबर सामने आई। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में येस बैंक के पुनर्गठन को मंजूरी दे दी गई है। 

नई दिल्ली. आर्थिक संकट से जूझ रहे येस बैंक के खाताधारकों के लिए शुक्रवार को अच्छी खबर सामने आई। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में येस बैंक के पुनर्गठन को मंजूरी दे दी गई है। वित्ती मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, नोटिफिकेशन जारी होने के तीन दिन बाद ही येस बैंक पर लगाए गए सभी प्रतिबंध हटा दिए जाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा, स्कीम के नोटिफिकेशन के 7 दिन के भीतर ही बैंक के बोर्ड को गठित किया जाएगा। 

निर्मला सीतारमण के मुताबिक, भारतीय स्टेट बैंक येस बैंक की 49% हिस्सेदारी खरीदेगी। साथ ही उसे इसमें से 3 साल तक अपने पास 26% हिस्सा भी रखना होगा। इसके साथ ही प्राइवेट लेंडर्स के लिए निवेश का लॉक पीरियड 3 साल तक का होगा।  प्राइवेट लेंडर्स 75% तक हिस्सेदारी ले सकते हैं। 
 

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बोर्ड में SBI के दो निदेशक होंगे सदस्य

वित्त मंत्री ने कहा, नए बोर्ड के गठन के साथ ही आरबीआई द्वारा नियुक्त प्रशासक प्रशांत कुमार को हटा दिया जाएगा। इसके साथ ही नए बोर्ड में एसबीआई के दो सदस्य भी होंगे। 

अभी येस बैंक का नियंत्रण आरीबीआई के पास
इससे पहले आरीबीआई ने 30 दिन के लिए येस बैंक के बोर्ड का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था। साथ ही येस बैंक (YES Bank) से पैसा निकालने की सीमा निर्धारित कर दी गई। अभी ग्राहक एक महीने में सिर्फ 50 हजार रुपए निकाल सकतें हैं। हालांकि, मेडिकल, शादी या पढ़ाई खर्च के मामले में यह राशि 5 लाख रुपए तक की गई है।
   
आर्थिक संकट से जूझ रहा है येस बैंक
येस बैंक की शुरुआत 2004 में हुई। इस बैंक को राणा कपूर और अशोक कपूर ने शुरू किया था। एक दशक में ही यह बैंक भारत में प्राइवेट सेक्टर का चौथा सबसे बड़ा बैंक बन गया। बैंक तीन लाख करोड़ रुपए की एसेट वाली कंपनी बन गई। लेकिन बैंक संकट में 2018 में आई। उस वक्त आरबीआई को शक हुआ कि येस बैंक बैलेंसशीट और एनपीए में गड़बड़ी कर रहा है। इसके बाद आरबीआई ने कार्रवाई करना शुरू किया। साथ ही राणा कपूर को 31 जनवरी 2019 तक पद छोड़ने के लिए कहा गया था। कभी 1400 रुपए के शेयर वाली कंपनी का शेयर अब 20 रुपए से भी नीचे आ गया है।

SBI Chairman says board exploring possibility of picking up a stake in YesBank KPP

येस बैंक की आर्थिक स्थिति खराब होने का बड़ा कारण एनपीए है। दरअसल, बैंक ने ऐसी कंपनियों को लोन दिया, उनमें ज्यादातर घाटे में आ गईं या दिवालिया हो गईं। बैंक ने जिन कंपनियों को लोन दिया, उनमें इंडिया बुल्स, डीएचएफएल, जेट एयरवेज, सीजी पावर, कैफे कॉफी डे भी शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर ने अपना कर्ज नहीं लौटाया।

येस बैंक को मार्च 2019 की तिमाही में पहली बार घाटा हुआ था। यह लगातार बढ़ता चला गया। 2018 में बैंक का कैपिटलाइजेशन 90 हजार करोड़ रुपए था, यह घटकर 9 हजार करोड़ रुपए रह गया। 

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