कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने दिया इस्तीफा, कमल थाम लड़ेंगे लोकसभा चुनाव

कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने इस्तीफा दे दिया है। वह भाजपा में शामिल होंगे। उनके तामलुक सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है।

 

Vivek Kumar | Published : Mar 5, 2024 9:26 AM IST / Updated: Mar 05 2024, 03:08 PM IST

नई दिल्ली। कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि वह गुरुवार दोपहर बाद भाजपा में शामिल होंगे। गंगोपाध्याय के लोकसभा चुनाव लड़ने की सूचना है। यह पूछे जाने पर कि आप किस सीट से चुनाव लड़ेंगे उन्होंने कहा कि यह फैसला पार्टी को करना है।

हाईकोर्ट परिसर के बाहर मीडिया से गंगोपाध्याय ने कहा कि उन्होंने पहले ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा बता दिया है। "शिष्टाचार मुलाकात" के लिए चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम से मिलने वाले हैं। गंगोपाध्याय ने कहा, "मैं चीफ जस्टिस से मिलने जा रहा हूं। यह शिष्टाचार मुलाकात है। मैंने पहले ही राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा भेज दिया है।"

तमलुक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं गंगोपाध्याय

ऐसी चर्चा है कि भाजपा गंगोपाध्याय को पश्चिम बंगाल के तमलुक लोकसभा सीट से टिकट दे सकती है। यहां राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की स्थिति मजबूत रही है। 2009 के बाद से इस सीट पर TMC के प्रत्याशी को जीत मिली है। 2009 से 2016 तक तमलुक सीट से सुवेंदु अधिकारी सांसद थे। उन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दाहिना हाथ माना जाता था। 2016 में सुवेंदु TMC छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे।

गंगोपाध्याय ने एक स्थानीय न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में सीएम ममता बनर्जी की तारीफ की थी। उन्होंने ममता को अनुभवी राजनीतिज्ञ बताया था। गंगोपाध्याय ने रविवार को पद छोड़ने की घोषणा की थी। इसके बाद तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष से उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने का निमंत्रण दिया था। इसपर गंगोपाध्याय ने जवाब दिया था, "कुणाल घोष ने राजनीतिक प्रवक्ता के रूप में मेरे खिलाफ बहुत सारी बातें कही हैं, लेकिन मैं उन्हें एक व्यक्ति के रूप में पसंद करता हूं। वह अच्छे इंसान हैं।"

चर्चा में रहे हैं गंगोपाध्याय
गौरतलब है कि गंगोपाध्याय अपने काम को लेकर चर्चा में रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने इंटरव्यू के दौरान रिश्वत लेने के उस मामले की चर्चा की थी, जिसकी सुनवाई वह कर रहे थे। इसको लेकर काफी विवाद हुआ था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस संबंध में कहा था कि लंबित मामलों पर इंटरव्यू देना जजों का काम नहीं है।

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