भाजपा कार्यकर्ता की मौत का मामला, पक्षकार बनने के आग्रह पर कोर्ट ने वेस्ट बंगाल से मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में 2018 में भाजपा के एक कार्यकर्ता की कथित हत्या से संबंधित मामले में पक्षकार बनने के लिये पार्टी नेता की याचिका पर सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब मांगा।


नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में 2018 में भाजपा के एक कार्यकर्ता की कथित हत्या से संबंधित मामले में पक्षकार बनने के लिये पार्टी नेता की याचिका पर सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब मांगा।

भाजपा कार्यकर्ता दुलाल कुमार का शव जून, 2018 में पुरूलिया जिले में बिजली के एक ट्रांसमिशन टावर से लटका हुआ मिला था।

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सीबीआई जांच के लिये जनहित याचिका दायर की थी

भाजपा प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया ने दुलाल की कथित हत्या के मामले की सीबीआई जांच के लिये जनहित याचिका दायर की थी।

पीठ ने याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को जारी किया नोटिस 

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने भाटिया की याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया। भाटिया इस कथित हत्या के मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा वह इस मामले में एक पक्षकार भी बनना चाहते हैं।

पीठ ने राज्य सरकार को भाटिया के अनुरोध पर जवाब देने के लिये चार सप्ताह का वक्त दिया है।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा 

इस मामले में संक्षिप्त सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि शीर्ष अदालत को एक दिन यह निर्णय करना होगा कि क्या राजनीतिक कार्यकर्ता को इस तरह के मामलों में समाचार पत्र की खबरों के आधार पर जनहित याचिका दायर करने की अनुमति दी जा सकती है।

सिब्बल के इस कथन पर भाटिया की आपत्ति का लिया संज्ञान

शीर्ष अदालत ने सिब्बल के इस कथन पर भाटिया की आपत्ति का संज्ञान लिया और कहा, "हम इस बात के प्रति सचेत हैं कि विपक्षी दल भी इस न्यायालय का इस्तेमाल करते रहे हैं।

इस मामले के ब्यौरे का जिक्र करते हुये भाटिया ने कहा कि पीड़ित परिवार ने सत्तारूढ़ दल के कम से कम छह सदस्यों के नाम आरोपी के रूप में लिये थे। इसके बावजूद 20 दिन तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी और ऐसी स्थिति में सच्चाई का पता लगाने के लिये इस मामले की सीबीआई से जांच कराए जाने की आवश्यकता है।


(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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