राज्यसभा में उपसभापति से अभद्रता का मामला, धरने पर बैठे निलंबित सांसद; कहा- पूरी रात जारी रहेगा धरना

Published : Sep 21, 2020, 09:56 PM ISTUpdated : Sep 22, 2020, 12:44 PM IST
राज्यसभा में उपसभापति से अभद्रता का मामला, धरने पर बैठे निलंबित सांसद; कहा- पूरी रात जारी रहेगा धरना

सार

रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे और उपसभापति के साथ अभद्रता के मामले में संसद के मानसून सत्र की पूरी कार्यवाही से आठ सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। इसके बाद निलंबित सांसद संसद में गांधी प्रतिमा के आगे धरना दे रहे हैं। निलंबित सांसदों का कहना है कि वो पूरी रात धरना देंगे और तब तक धरना देंगे जब तक निलंबन वापस नहीं लिया जाता। 

नई दिल्ली. रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे और उपसभापति के साथ अभद्रता के मामले में संसद के मानसून सत्र की पूरी कार्यवाही से आठ सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। इसके बाद निलंबित सांसद संसद में गांधी प्रतिमा के आगे धरना दे रहे हैं। निलंबति सांसदों का कहना है कि वो पूरी रात धरना देंगे और तब तक धरना देंगे जब तक निलंबन वापस नहीं लिया जाता। निलंबित सांसद लगातार संसद की कार्यवाही से निलंबन के फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। सांसदों को समर्थन देने कांग्रेस नेता व सांसद गुलाम नबी आजाद भी पहुंच गए हैं।

मानसून सत्र से निलंबित किए जाने के विरोध में धरने पर बैठे सांसद रातभर धरना देंगे। सांसदों का कहना है कि निलंबन को लेकर कल राज्यसभा में क्या फैसला होगा, उस पर आगे की कार्यवाही निर्भर होगी। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह का कहना है कि कल राज्यसभा में हमारा सस्पेंशन रिबोक होता है या नहीं, इस पर निर्भर करेगा कि हमारा धरना कब तक चलेगा।

किसी ने उपसभापति को हाथ तक नहीं लगाया: गुलाम नबी आजाद 
कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने सफाई देते हुए कहा कि राज्यसभा में हंगामे के दौरान सांसदों ने किसी को हाथ नहीं लगाया। न उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह को और न ही मार्शल को हाथ लगाया गया। आजाद ने कहा कि हाउस को अगर एक बजे के बाद बढ़ाना था तो हाउस का सेंस लिया जाता है। हाउस का सेंस यह था कि हाउस नहीं बढ़ाना चाहिए लेकिन उसके बाद भी हाउस बढ़ाया गया। जो सांसद रूल बता रहे थे, प्रक्रिया बता रहे थे, परंपरा बता रहे थे उन्हीं को सदन से निकाल दिया गया।

किसान विरोधी है बिल 
कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह बिल किसान को बर्बाद करने वाला है। किसान विरोधी है। जबरदस्ती यह बिल राज्यसभा में पास करवाया गया है। डिवीजन मांगा गया था लेकिन डिवीजन नहीं कराया। अगर एक आदमी भी डिवीजन मांगता है तो डिवीजन करवाया जाता है। हालांकि इसको ऐसे ही पास कर दिया, जबकि राज्यसभा में बहुमत इस बिल के खिलाफ था।
 

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