दोषियों ने मजाक बना रखा है, एक बार मौत तय हो गई तो...फांसी रोके जाने पर भड़की मोदी सरकार पहुंची हाईकोर्ट

निर्भया के दोषियों की फांसी रोके जाने पर केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जिसमें ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। केंद्र सरकार का कहना है कि निर्भया के दोषियों ने कानून प्रक्रिया का मजाक बना रखा है। जब एक बार फांसी की तारीख तय हो चुकी है तो उसे टालना ठीक नहीं है। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 2, 2020 2:36 AM IST / Updated: Feb 02 2020, 08:42 AM IST

नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में चार दोषियों को फांसी देने पर रोक लगाने वाले निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार की याचिका पर शनिवार को चारों दोषियों से जवाब मांगा। इसके साथ ही इस मामले पर आज यानी रविवार को सुनवाई की जाएगी। 

दोषियों और जेल से मांगा जवाब 

न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने चारों दोषियों मुकेश कुमार, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय सिंह को नोटिस जारी किया है। अदालत ने महानिदेशक (कारावास) और तिहाड़ जेल के अधिकारियों को भी नोटिस भेजकर केंद्र सरकार की याचिका पर उनका रुख पूछा। महानिदेशक (कारावास) के वकील ने अदालत को बताया कि उसके आदेश का पालन किया जाएगा।

दोषियों ने कानून का मजाक बना दिया है 

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि निर्भया मामले में दोषियों ने कानून की प्रक्रिया का मजाक बना दिया है और फांसी को टालने में लगे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय आज दोपहर बाद तीन अलग-अलग लेकिन एक जैसी याचिकाओं के साथ उच्च न्यायालय पहुंचा और चारों दोषियों की फांसी पर ‘‘अगले आदेश तक’’ रोक के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी।

तारीख तय होने के बाद फांसी होनी चाहिए 

मेहता ने शत्रुघन चौहान मामले में उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व के आदेश का जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि दोषी को एक बार यदि उसकी मौत के बारे में सूचना दे दी जाती है तो बिना विलंब फांसी होनी चाहिए, अन्यथा इसका दोषी पर अमानवीय प्रभाव पड़ेगा।

मेहता ने कहा कि इस मामले को देश के इतिहास में एक ऐसे मामले के रूप में जाना जाएगा जिसमें जघन्य अपराध के दोषियों ने देश के धैर्य की परीक्षा लेने की कोशिश की।उन्होंने कहा कि दोषी न केवल न्याय प्रक्रिया का दुरूपयोग कर रहे हैं, बल्कि हर किसी के धैर्य की परीक्षा भी ले रहे हैं।

न्यायाधीश ने जब यह पूछा कि दोषियों की तरफ से कौन पेश हो रहा है, मेहता ने कहा कि तिहाड़ जेल में उनके संबंध में याचिका तामील की गई, लेकिन उनकी ओर से अदालत में कोई पेश नहीं हुआ।

पहले 22 जनवरी को मिलनी थी मौत

सात साल से न्याय के इंतजार में बैठी निर्भया की मां ने दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए डेथ वारंट जारी करने की मांग वाली याचिका ट्रायस कोर्ट में लगाई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए 7 जनवरी को कोर्ट ने डेथ वारंट जारी कर दिया। जिसमें दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी की तारीख तय हुई थी। लेकिन निर्भया के दोषियों ने कानून दांव पेंच का प्रयोग कर फांसी की तारीख को आगे बढ़वा लिया।

22 जनवरी को होने वाली फांसी टलने के बाद दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी करते हुए 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी का नया फरमान जारी किया था। लेकिन दोषियों ने फिर कानून दांव पेंच का प्रयोग करते हुए मौत का टाल दिया।

क्या है पूरा मामला ?

दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया।जिसके बाद लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं।

छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया।बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।

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