केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा, कहा- देश में जहरीली नफरत फैला रहा डिजिटल मीडिया

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने सोमवार को हलफनामा दाखिल कर कहा है कि देश में डिजिटल मीडिया जहरीली नफरत और हिंसा फैला रहा है। यह पूरी तरह से अनियंत्रित है और लोगों की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर सरकार ने कहा, डिजिटल मीडिया विनियमन (रेगुलेशन) भी एक ऐसा विषय है, जिस पर विधायिका को परीक्षण करना चाहिए।

Asianet News Hindi | Published : Sep 21, 2020 11:21 PM IST / Updated: Sep 22 2020, 12:43 PM IST

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने सोमवार को हलफनामा दाखिल कर कहा है कि देश में डिजिटल मीडिया जहरीली नफरत और हिंसा फैला रहा है। यह पूरी तरह से अनियंत्रित है और लोगों की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर सरकार ने कहा, डिजिटल मीडिया विनियमन (रेगुलेशन) भी एक ऐसा विषय है, जिस पर विधायिका को परीक्षण करना चाहिए। सिविल सेवा में मुस्लिम समुदाय की घुसपैठ से संबंधित एक न्यूज चैनल के विवादास्पद कार्यक्रम ‘यूपीएससी जेहाद’ से संबंधित मामले में दिए गए जवाब में सरकार ने कहा है कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए विनियमन की जरूरत नहीं है। अगर फिर भी अदालत को लगता है कि इनमें विनियमन की जरूरत है तो वह इसकी शुरुआत डिजिटल मीडिया से करें। अगली सुनवाई बुधवार को होगी।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ के समक्ष सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से दाखिल इस हलफनामे में कहा गया है कि शीर्ष अदालत को या तो प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए नए दिशा-निर्देश बनाने की जिम्मेदारी विधायिका या सक्षम अथॉरिटी पर छोड़ देना चाहिए या उसे पहले डिजिटल मीडिया को नियंत्रित करने की कवायद करनी चाहिए। हलफनामे के मुताबिक, अगर ब्रॉडकास्टर व प्रकाशकों को ऐसा लगता है कि किसी सामग्री को लेकर उसे निशाना बनाया जा सकता है तो वह उस सामग्री को प्रकाशित करने के लिए डिजिटल मीडिया का सहारा लेता है। 

सावधानी से हो इस दुलर्भ शक्ति का प्रयोग : सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने कहा, उसे किसी टीवी चैनल के लिए प्रोग्राम कोड का समर्थक नहीं बनना है, बल्कि उसे संविधान में निहित मानवीय गरिमा, स्वतंत्रता और समानता की रक्षा करना है। पीठ ने कहा कि यह एक दुर्लभ सांविधानिक शक्ति है, जिसे ज्यादा सावधानी से इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हमारे अधिकार क्षेत्र का वहां इस्तेमाल नहीं होता जब वैकल्पिक नागरिक और व्यक्तिगत उपाय मौजूद हो।

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