स्मृति ईरानी ने लिया राष्ट्रपति का इंटरव्यू, जानें गांव की दुर्गी कैसे बन गईं द्रोपदी मुर्मू, किसने रखा नाम

Published : Feb 14, 2024, 04:52 PM IST
President Droupadi Murmu Interview

सार

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) का इंटरव्यू लिया है। इसमें उन्होंने राष्ट्रपति से उनके जीवन के कई खास लम्हों के बारे में विस्तार से बात की है।

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का इंटरव्यू (President Droupadi Murmu Interview) लिया है। इसमें उन्होंने राष्ट्रपति से कई रोचक मामलों पर बात की है। मंत्री ने पूछा कि आपका नाम कैसे पड़ा? जब पता चला कि राष्ट्रपति की उम्मीदवार बनाई जा रहीं हैं तो कैसा लगा?

मैंने सुना है कि द्रोपदी मुर्मू यह नाम आपको आपके शिक्षक ने दिया है। क्या यह सच है?

द्रोपदी मुर्मू: सच है। क्योंकि हमारे समाज में पहले कोई बेटी होती है तो उसे दादी का नाम दिया जाता है। बेटा होता है तो उसे दादा का नाम दिया जाता है। एक ऐसा सोच है कि नाम अमर होना चाहिए। मुझे मेरी दादी का नाम दुर्गी दिया गया। जो शिक्षक थे, उन्हें यह नाम पसंद नहीं आया। उन्होंने द्रौपदी नाम दिया।

क्या 5वीं क्लास से आगे की पढ़ाई करने वाली गांव की पहली लड़की ने राष्ट्रपति बनने का सपना देखा था?

द्रोपदी मुर्मू: मैं एक आम लड़की थी। घंटों तालाबों में तैरती थी। मैंने कभी सपना नहीं देखा था कि मुझे ये (राष्ट्रपति) बनना है।

हाल ही में हमारे देश के नागरिकों ने आपको मेट्रो में देखा। राष्ट्रपति के नाते, कैसा रहा?

द्रोपदी मुर्मू: मैंने भी सोचा कि आम आदमी की तरह थोड़ा अनुभव लूं। हजारों लोग मेट्रो में जाते हैं। अपने ऑफिस जाते हैं, काम पर जाते हैं। मैं भी देखना चाहती थी कि मेट्रो की बनावट कैसी है।

1997 में जब आपने पहली बार फैसला लिया कि काउंसर का चुनाव लड़ेंगी तब घर का माहौल कैसा था?

द्रोपदी मुर्मू: पहले तो मैं तैयार नहीं थी, क्योंकि बच्चे छोटे थे, लेकिन बाद में सोचा। झुकाव तो थोड़ा-बहुत था, राजनीति की ओर, लेकिन उन दिनों महिलाएं राजनीति में इतनी नहीं आती थीं। मेरे पति ने कहा था चुनाव लड़ें। इसके बाद मैं काउंसर का चुनाव लड़ी और जीती।

जब आपने पहली बार सुना कि आपको राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा रहा है। मैंने तो सुना है कि आप फोन ही नहीं उठा रहीं थीं। किसी को अपनी साइकल पर बैठकर आना पड़ा और बोलना पड़ा कि फोन उठाएं, आपके उम्मीदवारी की घोषणा हो रही है।

द्रोपदी मुर्मू: यह सही है। मेरा फोन कभी-कभी नहीं लगता है। कभी-कभी नॉट रिचेबल भी होता था। मैं अननोन नंबर से आए कॉल नहीं उठाती थी। मैं जब राज्यपाल थी तो मेरा एक पीएस था। वह एक मेडिकल स्टोर में काम कर रहा था। उनको फोन आया। उन्होंने कहा कि दिल्ली से फोन आ रहा है। आप नहीं उठा रहीं हैं तो मैं भागा-भागा आया हूं। उनका हाथ-पांव कांप रहा था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी आपसे बात करना चाहते हैं। मैंने सोचा कि प्रधानमंत्री मुझसे क्यों बात करना चाहते हैं। उन्होंने उसी नंबर पर फोन लगाया। दूसरे तरफ से मैंने प्रधानमंत्री जी की आवाज सुनी। उन्होंने कहा कि आपको हम ये (राष्ट्रपति) बनाना चाहते हैं। मैंने तो कभी यह सोचा नहीं था। मेरे हाथ-पांव पूरे सुन्न हो गए थे। मैं बोल नहीं पाई।

यहां देखें पूरा इंटरव्यू

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