केंद्र सरकार का दावा-बिहार में जाति जनगणना कराने का अधिकार राज्य को नहीं, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया एफिडेविट

सर्वोच्च न्यायालय में दायर एफिडेविट में केंद्र सरकार ने कहा कि जनगणना अधिनियम 1948 केवल सरकार को जनगणना कराने का अधिकार देता है।

Dheerendra Gopal | Published : Aug 28, 2023 4:30 PM IST

Bihar caste census: बिहार में नीतीश सरकार द्वारा कराए गए जाति जनगणना की वैधता पर केंद्र सरकार ने सवाल उठाए है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र के अलावा कोई अन्य निकाय जाति जनगणना नहीं करा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय में दायर एफिडेविट में केंद्र सरकार ने कहा कि जनगणना अधिनियम 1948 केवल सरकार को जनगणना कराने का अधिकार देता है।

बिहार सरकार द्वारा कराए गए जनगणना को केंद्र सरकार की चुनौती

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दायर कर केंद्र सरकार ने बिहार सरकार को चुनौती दी है। बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि बिहार में जाति जनगणना का सर्वे 6 अगस्त तक कराया जा चुका है। केंद्र सरकार ने कहा कि वह, भारत के संविधान के प्रावधानों और लागू कानून के अनुसार एससीएस/एसटीएस/एसईबीसी और ओबीसी के उत्थान के लिए सभी सकारात्मक कार्रवाई की जा रही।

जाति सर्वे पर पटना हाईकोर्ट के फैसले की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

बिहार सरकार द्वारा कराए जा रहे जाति सर्वेक्षण को बरकरार रखने वाले पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। एपेक्स कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। दरअसल, पटना हाईकोर्ट ने जातियों के आधार पर सर्वेक्षण कराने के नीतीश कुमार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

बिहार जाति सर्वे

बिहार जाति सर्वेक्षण में राज्य के 38 जिलों के शामिल होने का अनुमान है। राज्य के 38 जिलों में अनुमानित 2.58 करोड़ घरों का सर्वे कराया जाना है। इस सर्वे में 12.70 करोड़ की अनुमानित आबादी शामिल है। राज्य के 534 ब्लॉक और 261 शहरी स्थानीय निकाय में सर्वे किया गया।

 

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