केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर पलटा सुप्रीम कोर्ट का आदेश, दिल्ली सरकार से छीना अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार, LG को मिली ताकत

केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार से छीन लिया है। राष्ट्रीय राजधानी सेवा प्राधिकरण की स्थापना की गई है। अंतिम फैसला लेने का अधिकार उपराज्यपाल के पास होगा।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को पलट दिया, जिसमें दिल्ली सरकार को अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला दिए जाने के चंद दिनों बाद ही केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार से अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार छीन लिया और उपराज्यपाल को यह ताकत दे दी।

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को अध्यादेश लाकर राष्ट्रीय राजधानी सेवा प्राधिकरण की स्थापना की है। यह अधिकारियों के ट्रांसफर, पोस्टिंग, विजिलेंस और प्रासंगिक मामलों से संबंधित मामलों के संबंध में दिल्ली के उपराज्यपाल को सिफारिशें देगा। इन सिफारिशों के आधार पर उपराज्यपाल फैसला करेंगे।

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प्राधिकरण के अध्यक्ष होंगे मुख्यमंत्री

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिनों पहले दिल्ली सरकार को अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग सहित सेवा मामलों में कार्यकारी शक्ति दी थी। केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर कहा कि ट्रांसफर पोस्टिंग, सतर्कता और अन्य प्रासंगिक मामलों से संबंधित मामलों के बारे में उपराज्यपाल को सिफारिशें करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक स्थायी प्राधिकरण पेश किया जा रहा है।

उपराज्यपाल के पास होगी फाइलें वापस करने की शक्ति

नए प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के प्रमुख गृह सचिव शामिल होंगे। सभी मामले उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से तय किए जाएंगे। उपराज्यपाल के पास सेवाओं के मामलों पर प्राधिकरण द्वारा लिए गए फैसले से अलग होने की शक्ति है। वह पुनर्विचार के लिए फाइलें वापस भेज सकते हैं।

आम आदमी पार्टी बोली केंद्र सरकार कर रही बेईमानी

अध्यादेश लाए जाने पर आम आदमी पार्टी ने कहा है कि केंद्र सरकार बेईमानी कर रही है। दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा, “केंद्र द्वारा लाया गया अध्यादेश राष्ट्रीय राजधानी में आप सरकार को सेवाओं पर नियंत्रण देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि निर्वाचित सरकार के पास निर्णय लेने की शक्ति होनी चाहिए।”

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