भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-2 को लेकर देश की उम्मीदों को जगाए रखा है। इसरो ने मंगलवार को बताया कि टीम अभी भी लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की हर कोशिश में लगी है।
नई दिल्ली. भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-2 को लेकर देश की उम्मीदों को जगाए रखा है। इसरो ने मंगलवार को बताया कि टीम अभी भी लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की हर कोशिश में लगी है।
इसरो ने ट्वीट किया, चंद्रयान-2 के आर्बिटर ने विक्रम लैंडर की लोकेशन तलाश ली है। लेकिन अभी तक कोई संपर्क नहीं हो पाया है। लैंडर से संपर्क साधने का हर प्रयास किया जा रहा है।
लैंडिंग से सिर्फ 69 सेकंड पहले टूटा था संपर्क
चंद्रयान-2 मिशन के तहत लैंडर विक्रम की शुक्रवार-शनिवार रात 1 बजकर 53 मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग होनी थी। लेकिन लैंडर विक्रम का संपर्क लैंडिंग से सिर्फ 69 सेकंड पहले इसरो से संपर्क टूट गया था। तभी से वैज्ञानिक लगातार संपर्क साधने में जुटे थे। जब विक्रम चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह से 2.1 किमी दूर था, उसी वक्त लैंडर का धरती से संपर्क टूट गया था।
रविवार को मिली थी लैंडर की लोकेशन
इससे पहले इसरो चीफ के सिवन ने रविवार को बताया था कि चांद की सतह पर लैंडर विक्रम की लोकेशन पता लगाने में कामयाब हुए हैं। आर्बिटर से भेजी गईं थर्मल तस्वीरों के जरिए लोकेशन का पता लगाया गया है।
लैंडर को नहीं पहुंचा नुकसान
इसरो के चंद्रयान-2 मिशन से पूरे देश की उम्मीदें जुड़ी हैं। ऐसे में इसरो भी मिशन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी उपलब्ध करा रहा है। इसरो ने सोमवार को बताया था कि लैंडर विक्रम को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इसरो ने बताया कि हम लगातार विक्रम से संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं। हमने हार नहीं मानी।
11 साल की मेहनत बेकार नहीं ऑर्बिटर से उम्मीद बाकी
- चंद्रयान- 2 के तीन हिस्से हैं। ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर। लैंडर विक्रम को रोवर से प्राप्त जानकारी को ऑर्बिटर तक पहुंचाना था। फिर ऑर्बिटर उस जानकारी को धरती पर भेजेता। ऑर्बिटर 7.5 साल तक काम कर सकता है।
- इसी ऑर्बिटर से लैंडर अलग हुआ था। ऑर्बिटर अभी अभी भी चंद्रमा से 119 किमी से 127 किमी की ऊंचाई पर मौजूद है। यानी लैंडर और रोवर की स्थिति के बारे में जानकारी न होने के बावजूद ऑर्बिटर अपना काम करेगा और मिशन जारी रहेगा।