धरती के करीब 14 दिनों के बराबर है प्रज्ञान की मिशन लाइफ, ये हैं लैंडर की 5 खास बातें

ISRO की जानकारी के मुताबिक, प्रज्ञान का वजन 27 किलोग्राम है, ये 50W पावर से चलता है। इसमें दो प्लेलोड्स लगाए गए हैं। इसका डाइमेंशन 0.9x0.75x0.85 है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 6, 2019 8:36 PM IST

नई दिल्ली. चंद्रयान 2 का विक्रम लैंडर शनिवार की सुबह 1.55 बजे चंद्रमा पर उतरा गया। इसके साथ ही भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है। लैंडर विक्रम के साथ एक रोवर भी भेजा गया है, जिसका नाम प्रज्ञान रखा गया है। ISRO की जानकारी के मुताबिक, प्रज्ञान का वजन 27 किलोग्राम है, ये 50W पावर से चलता है। इसमें दो प्लेलोड्स लगाए गए हैं। इसका डाइमेंशन 0.9x0.75x0.85 है। इसकी मिशन लाइफ एक लूनर डे है। एक लूनर डे यानी चांद का एक दिन जो कि धरती के करीब 14 दिनों के बराबर है।

ये है लैंडर की खास बातें

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1- छह पहियों वाले प्रज्ञान में तमाम तरह की खूबियां हैं। इसके छह पहियों के ऊपर सोने के रंग की ट्रालीनुमा बॉडी है। इस बॉडी के सबसे ऊपर के हिस्से में सोलर पैनल लगा हुआ है जो सूर्य से ऊर्जा लेकर रोवर को संचालित रखेगा। वहीं, इसके दोनों भागों में एक-एक कैमरा लगा है। ये दोनों ही नैविगेशन कैमरे हैं जो रोवर यानी की प्रज्ञान को रास्ता बताएंगे।

2- सोलर पैनल के साथ ही दो रिसीव और ट्रांसमिट एंटीना लगे हैं। ये दोनों चंद्रमा की सतह पर मिलने वाली सभी जानकारियों को संदेशों के माध्यम से धरती पर भेजेगा। ये ट्रांसमिट एंटीना रोवर्स का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

3- इसके साथ ही गाड़ी में जहां आगे हेडलाइट लगाई जातती है वहीं, ठीक उसी तरह रोवर में एपीएक्सएस लगा है। ये अल्फा पार्टिकल एक्सरे स्पेक्टोमीटर है जो यहां मौजूद कणों की पूरी जानकारी धरती पर भेजेगा और रोवर को सुरक्षा भी प्रदान करेगा।

4- रोवर के दो पहियों के बीच में रॉकर बोगी असेंबली लगी हुई है, ये पहियों को सतह के हिसाब से मुड़ने और आगे बढ़ने के लिए लगाई गई हैं। ये असेंबली बीच के पहिये को छोड़कर आगे और पीछे के पहियों को जोड़ती है।

5- विक्रम लैंडर अपने बॉक्सनुमा आकार के बीचोंबीच से प्रज्ञान को बाहर उतारेगा, जैसे कोई हवाई जहाज लैंडिंग के बाद अपनी सीढ़ियां नीचे गिराकर सवारियों या सामान को उतारते हैं। हालांकि, ये सीढि़यां नहीं बल्कि एक समतल आकार की प्लेट होगी। यहां से जैसे ही प्रज्ञान नीचे उतरेगा, उसके सोलर पैनल खुल जाएंगे और वो पूरी तरह सूरज की रोशनी से चार्ज होगा। यहां से वो चंद्रमा की सतह पर पैर रखते ही मिशन से जुड़े सभी संदेश धरती पर भेजने लगेगा।
 

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