वैज्ञानिकों ने विक्रम को लैंड करने के लिए चांद के साउथ पोल को ही क्यों चुना? ये है वजह

22 जुलाई को चंद्रयान-2 को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट से लॉन्च किया गया था। 16 मिनट के बाद ही यह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया। 22 दिनों तक पृथ्वी के चक्कर काटने के बाद 23वें दिन चांद की ओर रवाना हुआ। फिर 30वें दिन चांद की कक्षा में प्रवेश किया।

Asianet News Hindi | Published : Sep 6, 2019 6:08 PM IST / Updated: Sep 07 2019, 02:16 AM IST

नई दिल्ली. चंद्रयान 2 का विक्रम लैंडर शनिवार की सुबह 1.55 बजे चंद्रमा पर उतारा गया। इसके साथ ही भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है। इससे पहले रूस, अमेरिका और चीन ने यह कारनामा किया है। लेकिन चंद्रमा के अनदेखे दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने वाला भारत पहला देश है। इसके पीछे सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को ही क्यों विक्रम के लिए क्यों चुना? 

ये है कारण

विक्रम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने के पीछे वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सतह पर अभी तक कोई नहीं पहुंचा है और यहां पानी के होने की संभावना जताई गई है। साथ ही उस सतह के पास तक सूरज की रोशनी  भी सही से नहीं पहुंच पाती है। दक्षिणी ध्रुव के हिस्‍से में सोलर सिस्‍टम के शुरुआती दिनों के जीवाष्‍म होने की भी संभावनाएं हैं।

22 जुलाई को किया गया था लॉन्च

22 जुलाई को चंद्रयान-2 को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट से लॉन्च किया गया था। 16 मिनट के बाद ही यह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया। 22 दिनों तक पृथ्वी के चक्कर काटने के बाद 23वें दिन चांद की ओर रवाना हुआ। फिर 30वें दिन चांद की कक्षा में प्रवेश किया। 30 से 42वें दिन तक चांद के चक्कर काटने के बाद 43वें दिन लैंडर-ऑर्बिटर अलग हो गए। 44वें दिन लैंडर की रफ्तार धीमी करने की प्रक्रिया हुई। फिर 48वें दिन नियंत्रित लैंडिंग की प्रक्रिया और 48वें दिन यानी 6-7 सितंबर की रात को करीब दो बजे लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरा गया।

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