चंद्रयान- 2: चंद्रमा पर 'रात' के साथ खत्म हो जाएगी उम्मीद, लैंडर विक्रम से संपर्क के लिए सिर्फ 5 दिन शेष

चंद्रयान-2 के तहत लॉन्च लैंडर विक्रम से भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) के संपर्क टूटने को करीब 10 दिन हो गए हैं। लैंडर विक्रम का 7 सितंबर को चांद की सतह पर पहुंचने से 2 किमी पहले संपर्क टूट गया था। इसके बाद से इसरो लगातार लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की कोशिश में लगा है। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 16, 2019 11:22 AM IST

नई दिल्ली. चंद्रयान-2 के तहत लॉन्च लैंडर विक्रम से भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) के संपर्क टूटने को करीब 10 दिन हो गए हैं। लैंडर विक्रम का 7 सितंबर को चांद की सतह पर पहुंचने से 2 किमी पहले संपर्क टूट गया था। इसके बाद से इसरो लगातार लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की कोशिश में लगा है। हाल ही में नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन  (नासा) ने  भी विक्रम के साथ संपर्क साधने की कोशिश में लगे हैं। हालांकि, इसरो के साथ ही अब पूरे देश की उम्मीद भी धुंधली होने लगी है। 

जब विक्रम 7 सितंबर को चांद की सतह के पास पहुंचा था, उस वक्त वहां चंद्रमा पर दिन (लूनर डे) की शुरुआत हो रही थी। एक लूनर डे पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है। इसके मुताबिक 20-21 सितंबर को चांद पर रात हो जाएगी। अभी चंद्रमा पर शाम हो गई है। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का जीवनकाल भी 14 दिनों का ही है। यानी 20-21 सितंबर को चंद्रयान 2 का विक्रम हमेशा के लिए शांत हो जाएगा। 

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लैंडिंग से सिर्फ 69 सेकंड पहले टूटा संपर्क 
चंद्रयान-2 मिशन के तहत लैंडर विक्रम की शुक्रवार-शनिवार रात 1 बजकर 53 मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग होनी थी। लेकिन लैंडर विक्रम का संपर्क लैंडिंग से सिर्फ 69 सेकंड पहले इसरो से संपर्क टूट गया था। तब विक्रम चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह से 2.1 किमी दूर था, उसी वक्त लैंडर का धरती से संपर्क टूट गया था। तभी से वैज्ञानिक लगातार संपर्क साधने में जुटे हैं। हालांकि, जब से विक्रम से कोई संपर्क नहीं हो पाया है। लेकिन चंद्रयान- 2 के आर्बिटर से भेजी गई तस्वीर से विक्रम की लोकेशन का पता चल गया था। लैंडर चंद्रमा की सतह पर ही सुरक्षित है।  
 
अब नजरें नासा पर 
इसरो की अभी तक संपर्क साधने की सभी कोशिशें नाकाम रही हैं। अब सभी की उम्मीदें नासा से हैं। दरअसल, मंगलवार को नासा का आर्बिटर चंद्रमा की सतह पर उस जगह के ऊपर से गुजरेगा, जहां विक्रम की लैंडिंग हुई थी। ऐसे में नासा का आर्बिटर लैंडर की फोटो भेज सकता है और इसरो को विक्रम से संपर्क साधने में मदद मिल सकती है। 

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