मून पर भी भूकंप? अब तक 250 से ज्यादा मूनक्वेक रिकॉर्ड कर चुका है चंद्रयान 3

चंद्रयान 3 मिशन ने चांद पर 250 से ज़्यादा भूकंप के झटके रिकॉर्ड किए हैं, जो चांद के साउथ पोल पर भूकंप की गतिविधि का पहला प्रमाण है। इसरो के वैज्ञानिकों ने इस खोज को एक बड़ी कामयाबी बताया है और आगे की रिसर्च जारी है।

Asianetnews Hindi Stories | Published : Sep 9, 2024 5:01 AM IST

धरती हिलती है ये तो सब जानते हैं। सालों तक सोई हुई धरती जब करवट लेती है तो तबाही मचती है, लेकिन क्या चांद पर भी भूकंप आते हैं? जी हां, चंद्रयान 3 मिशन यही कहता है। अंतरिक्ष की दुनिया में कई नए मुकाम हासिल करने वाला चंद्रयान 3 मिशन अब तक 250 से ज़्यादा मूनक्वेक रिकॉर्ड कर चुका है। 

पिछले साल चांद के साउथ पोल पर उतरा भारत का चंद्रयान 3 मिशन 250 से ज़्यादा भूकंप के झटके रिकॉर्ड कर चुका है। इनमें से 50 झटके ऐसे हैं जिनके बारे में अभी तक पता नहीं चल पाया है कि ये चांद पर आए भूकंप से जुड़े हैं या नहीं। अपोलो मिशन के बाद ये पहली बार है जब इस तरह की जानकारी मिली है। ICARUS में इसरो के रिसर्चर्स ने अपनी रिपोर्ट में इसे एक बड़ी कामयाबी बताया है।

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ये झटके रोवर (प्रज्ञान) की मूवमेंट या किसी दूसरे स्पेसक्राफ्ट की वजह से नहीं आए हैं। खासकर 50 झटकों का रोवर से कोई लेना-देना नहीं है। ये मुमकिन है कि ये मूनक्वेक (चांद पर आने वाले भूकंप) की वजह से आए हों। ये पहली बार है जब चांद के साउथ पोल पर भूकंप की जानकारी मिली है। 

विक्रम लैंडर में लगा इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनार सिस्मिक एक्टिविटी (ILSA) नाम का वैज्ञानिक उपकरण इस काम को अंजाम दे रहा है। ये चांद के साउथ पोल पर 69.37 डिग्री साउथ और 32.32 ईस्ट पर लैंडिंग साइट पर काम कर रहा है। 24 अगस्त 2023 से 4 सितंबर 2023 के बीच करीब 190 घंटे तक ILSA ने काम किया। ये पहली बार है जब चांद के साउथ पोल पर धरती के हिलने-डुलने की जानकारी मिली है। सिलिकॉन माइक्रोमशीनिंग तकनीक से बने इस उपकरण ने चांद की सतह पर इस तरह की रिसर्च करने वाला पहला उपकरण बन गया है। इसरो के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च को ICARUS नाम के वैज्ञानिक मैगजीन में प्रकाशित करवाया है। 

 

बैंगलोर के पीन्या में स्थित इसरो की लैब के रिसर्चर्स जे जॉन, वी तमराई, टीना चौधरी, एमएन श्रीनिवास, अश्विनी जांभुलकर, एम एस गिरिधर, मदन मोहन मेहरा, मयंक गर्ग, कवि शिला, कृष्णा कुम्मरी, एसपी कारंत, कल्पना अरविंद और केवी श्रीराम ने मिलकर ये रिसर्च रिपोर्ट तैयार की है। एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में LEOS (Laboratory for Electro-Optics Systems) के डायरेक्टर श्रीराम ने बताया कि रिकॉर्ड किए गए 200 सिग्नल में से करीब 200 सिग्नल रोवर प्रज्ञान की मूवमेंट के थे। लेकिन बाकी 50 सिग्नल का क्या मतलब है ये अभी तक साफ नहीं है। इन झटकों की वजह जानने के लिए और रिसर्च की ज़रूरत है।

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