विशाखापट्टनम गैस कांड: अब तक 11 की मौत; नायडू ने गैस प्लांट बंंद कर मामले की जांच करने की मांग की

विशाखापट्टनम में एक फार्मा कंपनी में गैस लीकेज का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि सरकारी अस्पताल में 11 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है। स्थानीय प्रशासन और नेवी ने फैक्ट्री के आस-पास के 5 गांवों को खाली करा लिया है। 

विशाखापट्टनम. आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एलजी पॉलिमर्स इंडस्ट्री के प्लांट से जहरीली गैस लीक हुई है। जिसके कारण 2 मासूम समेत 11 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 1000 से अधिक लोग हॉस्पिटल में एडमिट हैं। प्लांट के  4 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 5 गांवों में गैस का कहर दिखाई दिया। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, एनडीएमए और नौसेना की टीम रेस्क्यू ऑपरेशन कर रही है। हादसा गुरुवार की सुबह 2:30 से 3:30 बजे के बीच हुआ।

मृतक परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा

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सीएम जगन मोहन रेड्डी ने किंग जॉर्ज हॉस्पिटल में एडमिट पीड़ितों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने मुआवजे का ऐलान किया। हादसे के कारण जान गंवाने पर लोगों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही पीड़ितों को 10-10 लाख रुपये और डिस्चार्ज किए जा चुके लोगों को एक-एक लाख रुपये की सहायता राशि सरकार की ओर से दी जाएगी। इसके साथ ही पूरे मामले की जांच 5 सदस्यीय कमेटी करेगी। 

प्लांट बंद कर मामले की जांच- नायडू
उधर, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस मामले में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है। उन्होंने गैस प्लांट को बंद करने का मांग की है। साथ ही उन्होंने कहा, इस मामले की जांच होनी चाहिए। इसके अलावा प्रभावित क्षेत्र में लोगों को जरूरी उपकरण उपलब्ध कराने की मांग की।  

10 बजे तक रिसाव पर पाया गया काबू

घंटों मेहनत के बाद रिसाव पर काबू पा लिया गया है। इसके साथ ही फैक्ट्री के आस-पास से 3 हजार लोगों का रेस्क्यू किया गया है। अभी 170 लोगों को हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है।  गैस रिसाव की चपेट में आस-पास के सैकड़ों लोग आ गए और कई लोग बेहोश हो गए, जबकि कुछ लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है।

लीक हुई स्टाइरीन गैस, जिससे घुटता है दम 

जो गैस लीक हुई, वह पीवीसी यानी स्टाइरीन कहलाती है। यह न्यूरो टॉक्सिन है। इसका केमिकल फॉर्मूला C6H5CH=CH2 होता है। यह सबसे लोकप्रिय ऑर्गनिक सॉल्वेंट बेंजीन से पैदा हुआ पानी की तरह बिना रंग वाला लिक्विड होता है। इसी से गैस निकलती है। यह दम घोंट देने वाली गैस है। यह सांसों के जरिए शरीर में चली जाए तो 10 मिनट में ही असर दिखाना शुरू कर देती है। यह गैस पॉलिस्टाइरीन प्लास्टिक, फाइबर ग्लास, रबर और पाइप बनाने के प्लांट में इस्तेमाल होती है। 

स्टाइरीन 10 मिनट में, मिक गैस कुछ सेकंड में असर करती है

विशाखापट्‌टनम हादसे में प्लांट से निकली स्टाइरीन गैस का रिएक्शन टाइम 10 मिनट का है। वहीं, यूनियन कार्बाइड के प्लांट से जो मिक गैस निकली थी, उससे कुछ सेकंड में जान चली जाती है। भोपाल गैस हादसे के इतने साल के बाद भी इसका असर पुराने शहर के लोगों की सेहत पर देखा जा सकता है। हजारों लोग विकलांगता, कैंसर के शिकार हुए। कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। इस गैस ने अजन्मे बच्चों तक को प्रभावित किया।

1961 में स्थापित की गई थी कंपनी

एलजी पॉलिमर्स इंडस्ट्री की स्थापना 1961 में हिंदुस्तान पॉलिमर्स के नाम से की गई थी। कंपनी पॉलिस्टाइरेने और इसके को-पॉलिमर्स का निर्माण करती है।1978 में यूबी ग्रुप के मैकडॉवल एंड कंपनी लिमिटेड में हिंदुस्तान पॉलिमर्स का विलय कर लिया गया था और फिर यह एलजी पॉलिमर्स इंडस्ट्री हो गई।

36 साल पहले हुई थी भोपाल गैस त्रासदी

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड के कारखाने में 3 दिसंबर 1984 को 42 हजार किलो जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। इससे 15 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। यहां भी एक ऑर्गनिक कम्पाउंड से निकली गैस मिथाइल आईसोसाइनेट या मिक गैस फैली थी। यह गैस कीटनाशक और पॉली प्रॉडक्ट बनाने के काम आती है

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