Chhawla Rape Case: पूर्व CJI यूयू ललित ने बताया- क्यों लिया गया तीनों दोषियों को रिहा करने का फैसला

दिल्ली के छावला गैंगरेप केस (Chhawla rape case) में तीनों दोषियों को रिहा करने के आदेश के बारे में पूर्व सीजेआई यूयू ललित ने कहा है कि अभियोजन पक्ष मजबूत केस नहीं बना पाया, जिसके चलते आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया गया। 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में हुए छावला गैंगरेप केस (Chhawla rape case) में 7 नवंबर को तीनों आरोपियों को बरी कर दिया था। तीनों पर 19 साल की लड़की के साथ गैंगरेप करने और उसकी हत्या करने का आरोप लगा था। दिल्ली की एक कोर्ट ने तीनों को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा दी थी। हाईकोर्ट ने सजा बरकरार रखी थी। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देश भर में आक्रोश की एक बड़ी लहर सुनाई दी थी। पूर्व सीजेआई (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया) यूयू ललित के बेंच ने यह फैसला सुनाया था। इस बारे में यूयू ललित ने बताया है कि उन्होंने और बेंच के अन्य जजों ने यह आदेश क्यों दिया है। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा तीनों दोषियों के खिलाफ ठोस मामला साबित करने में विफल रहने के चलते उन्हें रिहा किया गया। अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूत यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं थे कि उन तीनों ने अपराध किया था। यूयू ललित ने कहा कि कोर्ट के सामने सबूत मायने रखते हैं, भावनाएं नहीं। 

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बता दें कि तीनों आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा था कि अभियुक्तों के खिलाफ पेश किए गए सबूत अच्छी तरह से स्थापित नहीं थे। अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ सही तरह से मामला बनाने में विफल रहा है। छावला गैंगरेप केस में कोर्ट ने पहले तीनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। दिल्ली की एक कोर्ट ने बाद में तीनों  को मौत की सजा सुनाई थी।

क्या है मामला?
9 फरवरी 2012 को दिल्ली के छावला में रात को अपने ऑफिस से घर लौटने के दौरान 19 साल की एक लड़की को राहुल, रवि और विनोद नाम के तीन आरोपियों ने अगवा कर लिया था। आरोप है कि तीनों ने लड़की के साथ गैंगरेप किया और उसे यातनाएं दीं। उसे बेरहमी से पीटा गया। पीड़िता के चेहरे और आंख में तेजाब डाल दिया गया। इसके साथ ही उसके शरीर को सिगरेट और गर्म लोहे से दागा गया। इसके बाद उसकी हत्या कर दी गई। 14 फरवरी 2012 को पीड़िता की लाश हरियाणा के रेवाड़ी में मिली थी। पीड़िता छावला के कुतुब विहार में रहती थी।

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लड़की का शव मिलने के बाद पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी। पुलिस को चश्मदीदों से सूचना मिली थी कि लड़की को लाल रंग की इंडिका कार में अगवा किया गया था। इसके बाद पुलिस ने कार और उसके मालिक राहुल को खोज निकाला। राहुल ने पूछताछ के दौरान अपने दो साथियों रिवा और विनोद के बारे में पुलिस को जानकारी दी। तीनों आरोपियों ने पूछताछ के दौरान पुलिस के सामने अपना गुनाह कबूल लिया था। 

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