असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया है कि CAA असम में पूरी तरह महत्वहीन है। जिन लोगों ने NRC के लिए आवेदन किया है और उनके नाम नहीं मिले हैं वे ही CAA के तहत आवेदन कर सकते हैं।
गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को दावा किया कि CAA (Citizenship Amendment Act) लागू होने से असम में असर नहीं पड़ेगा। CAA के तहत नागरिकता के लिए असम से आवेदकों संख्या सबसे कम होगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिमंत सरमा ने कहा, “सीएए असम में पूरी तरह से महत्वहीन है। राज्य में पोर्टल पर सबसे कम आवेदन होंगे।”
सीएम ने कहा कि असम में अगर NRC (National Register of Citizens) के लिए आवेदन नहीं करने वाले एक भी आदमी को CAA के तहत नागरिकता मिलती है तो वह पद छोड़ने वाले पहले व्यक्ति होंगे। CAA में साफ कहा गया है कि 31 दिसंबर 2014 तक भारत में शरण लेने वाले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी। असम में NRC के लिए जिन लोगों ने आवेदन किया है और उनके नाम नहीं मिले हैं वे ही CAA के तहत नागरिकता के लिए आवेदन कर पाएंगे।
असम में 2019 में CAA के खिलाफ हुए थे विरोध प्रदर्शन
दरअसल, असम में 2019 में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया है। इसके चलते राजधानी गुवाहाटी सहित राज्य में हिंसा की घटनाएं हुईं थी। असम के लोगों को डर है कि CAA से बांग्लादेश से आए हिंदुओं को भारत की नागरिकता मिल जाएगी। इससे उनके हितों पर असर पड़ेगा।
केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को सीएए लागू करने के कुछ घंटों बाद राज्य सरकार ने गुवाहाटी और राज्य भर में अन्य संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी। इन इलाकों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। सड़कों पर गश्त करने के लिए कमांडो तैनात किए गए।
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CAA संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों और बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन 1873 के तहत अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड के अधिसूचित "द इनर लाइन" के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में लागू नहीं होगा।
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