हिमालय में दुनिया का सबसे बड़ा डैम बना रहा चीन, भारत के लिए कितना खतरनाक?

Published : Dec 18, 2025, 06:07 PM IST
China Mega Dam

सार

चीन तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो (ब्रह्मपुत्र) पर दुनिया का सबसे बड़ा मेगा डैम बना रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें हुई जरा-सी भी चूक भारत में बाढ़, जल संकट, पर्यावरण और आजीविका पर गंभीर खतरा बढ़ा सकती है।

China Mega Dam Project: चीन तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी पर एक बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट (डैम) पर काम आगे बढ़ा रहा है। माना जा रहा है कि ये दुनिया का सबसे बड़ा बांध होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह कदम भारत में निचले इलाकों में पानी की सुरक्षा, इकोलॉजी और लोगों की आजीविका के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। चूंकि यह नदी भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है, इसलिए ऊपरी इलाकों में किसी भी बड़े दखल को उन लाखों लोगों के लिए सीधा खतरा माना जा रहा है, जो इसके प्राकृतिक बहाव पर निर्भर हैं।

भारत के खिलाफ ‘वॉटर बम’ के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है चीन

CNN के मुताबिक, 168 अरब डॉलर की लागत वाला चीन का यह हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट भारत के लिए एक बड़ी चिंता का कारण बन सकता है। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि इस प्रोजेक्ट का इस्तेमाल "टिकिंग वॉटर बम" के तौर पर किया जा सकता है, जिसमें चीन संभावित रूप से ब्रह्मपुत्र में छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा और समय को कंट्रोल कर सकता है। अचानक पानी छोड़ने से बाढ़ आ सकती है, जबकि पानी रोकने से जरूरी समय में नदी का बड़ा हिस्सा सूख सकता है।

1986 से चीन कर रहा इसे बनाने की तैयारी

विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने अगस्त 2025 में इस प्रोजेक्ट पर एक बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि वे ब्रह्मपुत्र नदी से जुड़े घटनाक्रमों पर लगातार नजर रख रहे हैं। "भारत सरकार ने तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो (ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपरी हिस्से) नदी के निचले हिस्सों पर चीन द्वारा मेगा डैम प्रोजेक्ट के निर्माण शुरू होने की खबरों पर ध्यान दिया है। विदेश मंत्रालय की ओर से राज्यसभा में बताया गया कि यह प्रोजेक्ट सबसे पहले 1986 में सार्वजनिक किया गया था और तब से चीन में इसकी तैयारियां चल रही हैं।

नदी की प्राकृतिक लय बिगड़ने का खतरा

ब्रह्मपुत्र का ज्यादातर पानी भारत के अंदर मानसून की बारिश और सहायक नदियों से आता है। हालांकि, CNN की रिपोर्ट में विशेषज्ञों का दावा है कि ऊपरी इलाकों में छेड़छाड़ से नदी की प्राकृतिक लय बिगड़ सकती है। यहां तक ​​कि सीमित बदलाव भी असम और अरुणाचल प्रदेश में उपजाऊ बाढ़ के मैदानों, मत्स्य पालन और भूजल रिचार्ज को प्रभावित कर सकते हैं। ये ऐसे क्षेत्र हैं जो पहले से ही जलवायु तनाव के प्रति संवेदनशील हैं। हालांकि, चीन ने भारत की इन चिंताओं को खारिज कर दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय का कहना है कि निचले देशों पर इसका कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा।

जरा-सी चूक ला सकती है बड़ी तबाही : एक्सपर्ट

मेगा डैम प्रोजेक्ट के तकनीकी पैमाने ने भी डर बढ़ा दिया है। CNN ने वॉटर एंड सस्टेनेबिलिटी प्रोग्राम के डायरेक्टर ब्रायन आइलर के हवाले से कहा है कि उन्होंने इसे अब तक का सबसे एडवांस्ड हाइड्रोपावर सिस्टम बताया है, लेकिन यह सबसे जोखिम भरा भी है। भूकंपीय रूप से संवेदनशील इलाकों में इसकी कोई भी नाकामी या गलत अनुमान निचले इलाकों में गंभीर परिणाम पैदा कर सकता है। चीन में हो रहे इस डेवलपमेंट ने भारत की सबसे बड़ी सरकारी हाइड्रोपावर कंपनी को ब्रह्मपुत्र पर अपने 11200-मेगावाट के प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है। एक्सपर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा है कि एक ही नदी प्रणाली पर प्रतिस्पर्धी मेगा प्रोजेक्ट दोनों देशों के लिए रिस्क बढ़ा सकते हैं।

क्या है चीन का मेगा डैम प्रोजेक्ट?

यारलुंग ज़ांगबो तिब्बत की सबसे लंबी नदी है, जो हिमालय से निकलकर भारत के अरुणाचल प्रदेश में सियांग नदी बनती है। बाद में असम में ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में जमुना कहलाती है। चीन इसी नदी के ग्रेट बेंड इलाके में जहां नदी नमचा बरवा पर्वत के पास यू-टर्न लेती है, 5 डैम बनाने जा रहा है। इस जगह पर नदी 50 किलोमीटर के दायरे में 2000 मीटर नीचे गिरती है, जो इसे बिजली बनाने के लिए दुनिया का सबसे अच्छी प्राकृतिक जगह बनाता है।

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