चीन के विदेश मंत्री वांग यी गुरुवार को नई दिल्ली पहुंचे। बेहद गुप्त तरीके से उनकी यात्रा के शेड्यूल को रखा गया था। दिल्ली पहुंचने के पहले तक उनकी यात्रा के संबंध में कोई अधिकारिक जानकारी शेयर नहीं की गई थी। वांग ने अफगानिस्तान से दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी।
नई दिल्ली। चीन (China) के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) गुरुवार को दिल्ली पहुंचे हैं। एलएसी पर हुए भारत-चीन गतिरोध के दो साल के दौरान यह ड्रैगन के किसी हाई प्रोफाइल प्रतिनिधि का पहला दौरा है। माना जा रहा है कि चीन के विदेश मंत्री, शुक्रवार को भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर (S.Jaishankar) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) से मिलेंगे। दरअसल, इस साल के अंत में बीजिंग में होने वाली ब्रिक्स मीटिंग (BRICS) के लिए भी पीएम मोदी (PM Modi) को चीनी मंत्री आमंत्रित करने पहुंचे हैं।
चीनी विदेश मंत्री की यात्रा अंतिम समय तब बना रहा रहस्य
भारत में चीन के विदेश मंत्री आ रहे हैं यह बात अंत तक यहां रहस्य बना रहा। यात्रा की न तो कोई अधिकारिक पुष्टि की जा रही थी न ही कोई सार्वजनिक तौर पर तैयारियां ही की गई थी। हालांकि, दिल्ली में चीनी विदेश मंत्री वांग यी के लैंड करते ही उनके यात्रा की जानकारी सबको हो सकी। चीन के विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान से यहां के लिए उड़ान भरी थी।
दोनों देशों के संबंधों की गरमाहट कम हुई
भारत-चीन संबंधों में गिरावट आई है क्योंकि लद्दाख में चीनी घुसपैठ कई बार हो चुकी है। गलवान घाटी में हुई दोनों सैनिकों के बीच झड़प और 20 भारतीय सैनिकों के मारे जाने के बाद दोनों देशों के संबंधों में काफी तल्खी आई। हालांकि, दोनों देशों ने सैन्य स्तरीय वार्ता कई दौर में की है। अभी आगे भी होनी है। इस वार्ताओं के दौरान तनाव कुछ कम होने के संकेत हैं। दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे और गोगरा क्षेत्र में विघटन की प्रक्रिया पूरी की थी। लेकिन 2020 से पहले की यथास्थिति में कोई वापसी नहीं हुई है। बीते 11 मार्च को भारत और चीन ने लंबित मुद्दों को हल करने के लिए 15वें दौर की सैन्य बातचीत की है।
दुशांबे में दोनों देशों के विदेश मंत्री मिल चुके
भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने तनाव को कम करने के लिए मॉस्को और दुशांबे में वांग यी के साथ कई दौर की बातचीत की है। सितंबर 2020 में, उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन के एक सम्मेलन के दौरान मास्को में व्यापक बातचीत की, जिसके दौरान वे पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को हल करने के लिए पांच सूत्री समझौते पर पहुंचे।
पिछले साल जुलाई में ताजिक राजधानी शहर दुशांबे में एससीओ की एक अन्य बैठक से इतर उनकी द्विपक्षीय बैठक भी हुई थी। सितंबर में दुशांबे में एक और बैठक हुई।
कश्मीर के मुद्दे पर बयान देकर चीन ने विवाद बढ़ाया
चीन का यह दौरा पाकिस्तान में एक कार्यक्रम में कश्मीर पर उनके बयान को लेकर ताजा विवाद के बीच हो रहा है। नई दिल्ली ने टिप्पणी को खारिज कर दिया था। भारत ने उसे अनावश्यक बयान बताते हुए रेखांकित किया कि जम्मू और कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और पाकिस्तान और चीन दोनों इसे जानते हैं।
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