नरसंहार की जांच के लिए कश्मीरी पंडित पहुंचे SC, कहा- जब सिख दंगों की जांच हो सकती है तो इसकी क्यों नहीं

कश्मीर में तीन दशक पहले हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की जांच की मांग एक बार फिर से की गई है। इनका कहना है कि यदि 33 साल पुराने सिख दंगों की जांच हो सकती है तो फिर कश्मीर में पंडितों के कत्लेआम की जांच में क्या दिक्कत है। मोदी सरकार में इन पंडितों को न्याय की उम्मीद जगी है। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 24, 2022 12:47 PM IST / Updated: Mar 24 2022, 06:31 PM IST

नई दिल्ली। कश्मीरी पंडितों (Kashmiri pandit) के नरसंहार पर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir files) आने के बाद एक बार फिर कश्मीरी पंडितों ने 90 के दशक में हुए नरसंहार की जांच कराने के लिए आवाज उठाई है। कश्मीरी पंडितों की संस्था रूट्स इन कश्मीर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में एक क्यूरेटिव पिटीशन लगाते हुए कहा है कि मामले की जांच कराई जानी चाहिए। इससे पहले इसी संस्था ने 2017 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी, लेकिन तब कोर्ट ने कहा था कि 27 साल बाद घटना के सबूत जुटाना मुश्किल होगा। इस बार संस्था ने अपनी याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 33 साल बाद 1984 के दंगों की जांच करवाई है, तो कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के बारे में भी जांच कराई जा सकती है।  

आलीशान घर छोड़कर छोटे कमरों में आधी उम्र बीती
'रूट्स इन कश्मीर' का कहना है कि अगर 1984 के दंगों की जांच के 33 साल बाद जांच की जा सकती है तो कश्‍मीर पंडितों के नरसंहार की जांच कराने में किसी तरह की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। 19 जनवरी 1990 में लाखों कश्मीरी पंडितों को अपना घर छोड़कर पलायन करना पड़ा था। तीन दशकों के बाद भी कश्मीरी पंडितों को न्याय नहीं मिला है। अपने बड़े और आलीशान घर, बाग-बगीचे और संपत्ति छोड़कर ये पंडित देश के अलग-अलग शहरों में छोटे छोटे कमरों में जिंदगी बिता रहे हैं। इनके साथ हुए जुल्म पर भी न्याय होना चाहिए, क्योंकि यह सब इनके जेहन में बस गया है।  

यह भी पढ़ें द कश्मीर फाइल्स में काम करने अनुपम खेर ने चार्ज किए इतने करोड़, जानें अन्य स्टारकास्ट की फीस के बारे में

खूबसूरत वादियों में अपने आशियाने नसीब होने की उम्मीद

1990 में पाकिस्तान के समर्थक से आतंकवादियों ने कश्मीर में जबरदस्त तरीके से नरसंहार किया। सैकड़ों मस्जिदों के लाउडस्पीकारों से एक ही ऐलान हुआ कि या तो कश्मीरी पंडित अपना धर्म बदल लें या फिर वे घाटी छोड़ दें। आतंकियों ने हत्याएं शुरू कीं तो कश्मीरी पंडिताें को अपने परिवारों की जान की खातिर घर, बाग सब छोड़ने पड़े। जब यह घटनाएं हुईं, उस समय जम्मू-कश्मीर अलग राज्य था। वहां का संविधान और ध्वज सब कुछ अलग था। अब अनुच्छेद 370 हटने के बाद ये केंद्र शासित प्रदेश है। राष्ट्रपति शासन के बीच रातों-रात बेदखल किए गए पंडितों को आस जगी है कि मोदी सरकार के शासन में उन्हें कम से कम कश्मीर की खूबसूरत वादियों में अपने आशियाने एक बार फिर नसीब हाे सकेंगे। 

यह भी पढ़ें 200 करोड़ क्लब में शामिल हुई द कश्मीर फाइल्स, 13वें दिन फिल्म ने कमाए इतने करोड़

Share this article
click me!