पूर्वी लद्दाख में सीमा को लेकर जारी विवाद को निपटाने के लिए भारत और चीन के बीच कई स्तर की बातचीत हो चुकी है। हालांकि, चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है, वह हर बार कोई ना कोई अडंगेबाजी लगा ही देता है। अब चीन ने शर्त रखी है कि भारतीय सेना पहले पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर कब्जे वाली चोटियों को खाली करे। इसे लेकर भारत ने साफ कर दिया है कि दोनों देशों की सेनाएं एक साथ ही हटेंगी। एकतरफा कार्रवाई नहीं होगी।
नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख में सीमा को लेकर जारी विवाद को निपटाने के लिए भारत और चीन के बीच कई स्तर की बातचीत हो चुकी है। हालांकि, चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है, वह हर बार कोई ना कोई अडंगेबाजी लगा ही देता है। अब चीन ने शर्त रखी है कि भारतीय सेना पहले पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर कब्जे वाली चोटियों को खाली करे। इसे लेकर भारत ने साफ कर दिया है कि दोनों देशों की सेनाएं एक साथ ही हटेंगी। एकतरफा कार्रवाई नहीं होगी।
इंडियन एक्सप्रेस ने उच्च सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि भारत ने चीनी अतिक्रमण का जवाब देने के लिए सात जगह पर एलओसी को पार किया है। अगस्त के आखिर तक भारतीय सेना ने चुशूल सब सेक्टर में पैट्रोलिंग पॉइंट्स से आगे जाकर एडवांस्ड पोजिशंस पर अपनी पकड़ बना ली है।
इन इलाकों में अब भारत का दबदबा
अब पैंगोंग के दक्षिण इलाके में भारत का दबदबा है। क्योंकि ना सिर्फ यहां से भारत स्पांगुर गैप पर बल्कि मोल्दो में चीनी टुकड़ियों पर भी नजर बना पा रहा है। इसे देखते हुए चीन के तेवर बदले हुए हैं। अखबार ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा, हमने सात जगह एलएसी पार की। क्या आपको लगता है कि चीन अब भी बातचीत की मेज पर है। उन्होंने कहा, ताजा बातचीत में वे चाहते हैं कि भारत दक्षिण तट पर चोटियां खाली करें। वहीं, भारत ने साफ कर दिया है कि दोनों सेनाएं एक साथ झील के किनारों से पीछे हटें।
नहीं बदले चीन के तेवर
भारत और चीन के पास कोर कमांडर स्तर पर सात राउंड की बातचीत हो चुकी है। राजनीतिक स्तर पर भारत चीन के रुख को लेकर सतर्क है। हाल ही में रूस के मॉस्को में दोनों देशों के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री की बातचीत हुई थी। इसके बावजूद चीन के तेवर नहीं बदले। द इंडियन एक्सप्रेस से एक सूत्र ने कहा कि बीजिंग का कहना है कि वह दोनों देशों के बीच शांति और खुशहाली चाहता है। लेकिन भारत भी यही चाहता है। लेकिन चीन यह नहीं बताता कि उसने इतनी बड़ी संख्या में वहां सैनिक क्यों जमा किए। चीन पर विश्वास करना आसान नहीं है। हालांकि, भारत हर तरह से तैयार है।