
Indo-China Relations: ड्रैगन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। दक्षिण-अफ्रीका में भारत के पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद ड्रैगन ने अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को एक बार फिर अपना हिस्सा बताते हुए मैप में उसे दर्शाया है। चीन की हरकत पर भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने विभिन्न डिप्लोमैटिक चैनल्स से इस पर ऐतराज जताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि चीन के दावे का कोई आधार नहीं है। लेकिन उसके इस कदम से एलएसी पर सीमा विवाद को हल करने की प्रक्रिया और जटिल हो सकती है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने क्या कहा चीन के कदम पर?
भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बयान जारी किया है। अक्साई चिन और अरुणाचल के कई क्षेत्रों को चीन द्वारा अपने मैप पर दिखाने पर भारत सरकार के विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि हमने डिप्लोमैटिक चैनल्स के माध्यम अपनी आपत्ति जता दी है कि चीन ने हमारे क्षेत्र को अपने मैप में दिखाया है। उन्होंने कहा कि चीन के क्लेम का कोई आधार नहीं है। चीन के इस कदम से पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में लाइन ऑफ कंट्रोल पर सीमा विवाद को हल करने की प्रक्रिया और जटिल हो सकती है।
ब्रिक्स समिट में दोनों राष्ट्राध्यक्षों की हुई थी बातचीत
दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत हुई थी। गलवान घाटी में 2020 में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव करने के लिए दोनों राष्ट्रप्रमुख सहमत हुए। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत हुई। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-चीन सीमा एलएसी और अन्य क्षेत्रों पर अनसुलझे मुद्दों पर भारत की चिंताओं पर प्रकाश डाला। क्वात्रा ने कहा कि पीएम मोदी ने रेखांकित किया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना और एलएसी का सम्मान करना भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने के लिए आवश्यक है। इस संबंध में दोनों नेता अपने संबंधित अधिकारियों को सैनिकों की शीघ्र वापसी और तनाव कम करने के प्रयासों को तेज करने का निर्देश देने पर सहमत हुए। ब्रिक्स में क्या-क्या बात हुई क्लिक कर जानिए…
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