सार
चंद्रमा की सतह पर भ्रमण कर रहे प्रज्ञान रोवर ने अबतक का सबसे बड़ा अपडेट दिया है। रोवर के भेजे गए सैंपल्स की जांच में सल्फर के मौजूदगी की पुष्टि हुई है।
Chandrayaan-3 updates: चंद्रमा की सतह पर भ्रमण कर रहे प्रज्ञान रोवर ने अबतक का सबसे बड़ा अपडेट दिया है। रोवर के भेजे गए सैंपल्स की जांच में सल्फर के मौजूदगी की पुष्टि हुई है। सल्फर, जीवन के लिए एक जरूरी एलिमेंट है। प्रज्ञान रोवर को अन्य कई जरूरी एलिमेंट्स भी मिले हैं। हालांकि, हाइड्रोजन की पुष्टि के लिए अभी भी रिसर्च जारी है।
कैसे रोवर ने भेजे सारे डेटा?
चंद्रयान-3 मिशन प्रज्ञान रोवर पर लेजर बेस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) इक्वीपमेंट लगा है। इस इक्वीपमेंट ने दक्षिण ध्रुव के पास चंद्रमा की सतह पर सल्फर (एस) की उपस्थिति की स्पष्ट रूप से पुष्टि की है। चंद्रमा पर एल्युमिनियम (Al), कैल्शियम (Ca), आयरन (Fe), क्रोमियम (Cr), टाइटेनियम (Ti), मैग्नेशियम (Mn), सिलिकॉन (Si) और ऑक्सीजन (O) का भी पता चला है। हालांकि, चंद्रमा पर हाइड्रोजन की खोज अभी की जा रही है। एलआईबीएस (LIBS) उपकरण को इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम्स (एलईओएस)/इसरो बेंगलुरु की लैब में विकसित किया गया है।
चांद की सतह पर उफ्फ इतनी गर्मी...
ChaSTE यानी चंद्र सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट के मुताबिक चंद्रमा के साउथ पोल की सतह से 10 सेंटीमीटर की गहराई पर तापमान 50 से 60 डिग्री सेल्सियस के बीच है। सतह पर तापमान करीब 50 डिग्री सेल्सियस है। जबकि 80mm की गहराई में माइनस 10°C टेम्परेचर रिकॉर्ड किया गया। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगे चास्टे (ChaSTE) पेलोड में दस सेंसर लगे हुए हैं। यह 10 सेंटीमीटर गहराई तक का टेंपरेचर ले सकते हैं।
सफल लैंडिंग
चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर हुई थी। बुधवार को चंद्रयान 3 की लैंडिंग कराकर भारत ने इतिहास रच दिया था। साउथ पोल पर स्पेसक्रॉफ्ट उतारने वाला पहला देश भारत बन गया है।
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